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Saraikela :अनाथ बच्चों के वात्सल्य योजना के पैसों में हिस्सेदारी मांगने का जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी पर लगा आरोप, बाल कल्याण समिति ने उठाया मामला
सरायकेला : सरकार के वात्सल्य योजना के तहत अनाथ बच्चों के भरण- पोषण के लिए दिए जाने वाली सहायता राशि में से जबरन हिस्सेदारी मांगने का आरोप जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी पर लगा है. इस मामले को पीड़ित परिवार ने जिला बाल कल्याण समिति के समक्ष उठाते हुए इसकी लिखित शिकायत दर्ज कराई गई है.
इस संबंध में जिला बाल कल्याण समिति अध्यक्ष के रोहित महतो ने बताया है कि सरायकेला प्रखंड अंतर्गत छोटा दवाना पंचायत के कदमडीहा गांव निवासी स्वर्गीय अशोक महतो की पत्नी पुष्पा महतो ने समिति के समक्ष लिखित शिकायत दर्ज की है. उसमें बताया गया है कि उनके पति का निधन दो वर्ष पूर्व कोरोना के चलते हो गया था, जिसके बाद जिला प्रशासन द्वारा इन्हें भारत सरकार के स्पॉन्सरशिप देने के उद्देश्य से केंद्र सरकार के वात्सल्य योजना से जोड़कर उनके दो बेटों के भरण-पोषण को लेकर पूर्व में प्रतिमाह 2 हजार रुपये खाते में ट्रांसफर किए जाते थे. इसे सरकार द्वारा अप्रैल 2023 के बाद बढ़कर 4 हजार प्रति छात्र किया गया है. इस योजना के तहत उनके दोनों बेटों को अब तक बीते एक साल के अंदर खाते में 48 हजार रूपये ट्रांसफर किए गए हैं. लेकिन भरण पोषण के उद्देश्य से मिलनेवाली इस राशि पर जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी संतोष कुमार ठाकुर की टेढ़ी निगाह है. जिला बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष के मुताबिक लाभुक बच्चों की माता ने शिकायत में बताया गया है कि बाल संरक्षण पदाधिकारी संतोष ठाकुर योजना के इन रूपये में से हिस्सेदारी की मांग करते हैं. बार-बार परेशान करने पर ढ़ाई हजार रूपए भी बाल संरक्षण पदाधिकारी को दिए गए हैं. इसके अलावा अपने निजी मोबाइल फोन से फोन कर भी बराबर पैसे की मांग और पैसे नहीं देने पर सूची से नाम काटने की बात बाल संरक्षण पदाधिकारी द्वारा किया जाता है .मामले को लेकर जिला बाल कल्याण समिति ने लाभुक बच्चों की मां के लिखित शिकायत के बाद सरायकेला जिला उपायुक्त के समक्ष मामले को पहुंचाने की बात कही है.
जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी ने आरोप किया खारिज
इधर, जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी संतोष कुमार ठाकुर ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है. इन्होंने बताया कि इस योजना का लाभ बच्चों को मिल रहा है, अथवा नहीं इसकी जांच को लेकर ये फोन करते हैं. साथ ही, समय-समय पर गांव जाकर निरीक्षण के साथ यह भी पता लगाते हैं कि बच्चे योजना से जुड़कर स्कूल जा रहे हैं या नहीं. इनका कहना है कि योजना के संबंध में पूछताछ को लेकर इन्होंने फोन किया था. इसे अलग तरीके से पेश किया जा रहा है.