जमशेदपुर : बागबेड़ा की जलापूर्ति योजना लचर व्यवस्था और रख-रखाव की भेंट चढ़ गया है. मोटर खराब हुए पूरे 5 दिन हो गए हैं, लेकिन अभी और कितने दिनों के बाद बागबेड़ा कॉलोनी को पानी नसीब होगा. किसी को पता नहीं है. इस बार मोटर खराब होने पर उसे ही बदलने का काम किया जा रहा है.
बागबेड़ा जलापूर्ति योजना के लिए दो मोटर की सुविधा दी गई थी. अगर कभी एक मोटर खराब होता है तो दूसरे मोटर से जलापूर्ति की जाएगी. ऐसा अबतक नहीं हुआ है कि एक मोटर खराब हुआ तो दूसरा काम कर रहा है.
स्थायी तौर पर खराब रहता है दूसरा मोटर
दूसरा मोटर तो स्थायी तौर पर ही खराब रहता है. इसे बनवाने तक का काम नहीं किया जाता है. इसकी जिम्मेवारी संभालने वाले जनप्रतिनिधि भी अबतक चुप्पी साधे रहते हैं. किसी के पास इसका जवाब नहीं है. अबतक कितनी बार मोटर में खराबी आई है किसी के पास जवाब नहीं है.
बार-बार मोटर में आती है खराबी
मोटर में खराबी एक नहीं बल्कि बार-बार आती है. इसकी जानकारी भी सभी को है. मोटर खराब होने के बाद बागबेड़ा के दो धड़ा में आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरु हो जाता है. दोनों धड़ा राजनीति पर उतर आते हैं. एक धड़ा इधर बैठक कर रहा है तो दूसरा उधर. कोई मोटर के साथ फोटो खिचवा रहा है तो कोई अधिकारी के साथ. जलापूर्ति योजना के मामले में एक धड़ा जहां खराब मोटर के साथ फोटो खिचवा रहा है तो दूसरा किसी अधिकारी के साथ. कुल मिलाकर मोटर खराब होने के बाद राजनीति शुरु हो जाती है.
क्या जवाब दे रहे ग्राम पेयजल व स्वच्छता समिति के अध्यक्ष
ग्राम पेयजल व ग्राम स्वच्छता समिति का अध्यक्ष बागबेड़ा कॉलोनी पंचायत के मुखिया राजकुमार गोंड और बागबेड़ा मध्य पंचायत के मुखया उमा मुंडा को बनाया गया है. दोनों की देख-रेख में ही मोटर की रिपेयरिंग और पानी का मासिक कलेक्शन का जिम्मा है. राजकुमार का कहना है कि डेढ़ साल में वे मोटर को ठीक कराने में 2 से ढाई लाख रुपये तक खर्च कर चुके हैं. अबतक 5 से 6 बार मोटर जल चुका है. डेढ़ साल के अंतराल में पानी का कलेक्शन 50 से 60 हजार रुपये ही आया है. पहले के मुखिया की ओर से अभी तक लेखा-जोखा तक हेंड ओवर नहीं किया गया है. इसकी जानकारी डीसी से लेकर बीडीओ तक से लिखित की गई है. पंप ऑपरेटर को प्रतिमाह 7200 रुपये देना पड़ता है.
बागबेड़ा मध्य पंचायत की मुखिया उमा मुंडा का कहना है कि उन्होंने अबतक मोटर के पीछे करीब एक लाख रुपये खर्च किया है. कॉलोनी के लोग यह कहकर कलेक्शन नहीं देते हैं कि पानी सुचारू नहीं मिल रहा है. उनके यहां करीब 12 लोग ही मासिक पैसा पहुंचाने आते हैं. लोगों का कहना है कि घर पर आने से मासिक कलेक्शन मिल सकता है. कोई समिति अध्यक्ष के पास नहीं जाना चाहता है.