शहर के लेखर अंशुमन भगत की नई पुस्तक का नाम है जाति मत पूछो. पुस्तक के माध्यम से उन्होंने जातिवाद को लेकर किस तरह के हालात वर्तमान में उत्पन्न हैं. उसपर फोकस करने का प्रयास किया है. इससे उबरने को लेकर भी अपनी विचारों को पुस्तक के माध्यम से प्रस्तुत करने का काम किया है.
जमशेदपुर : लेखक अंशुमन भगत ने अपनी लेखनी से कई बार समाज की समस्याओं पर खुलकर अपने विचारों को अपने पाठकों के समक्ष रखा है. इस बार फिर अंशुमन भगत समाज से जुड़ी पुस्तक “जाति मत पूछो” अपने पाठकों के बीच ला रहे हैं. पुस्तक का प्रकाशन 18 दिसंबर को होने वाला है. इसमें वे सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर अपने विचारों को समेटे हुए हैं.
अंशुमन भगत ने समाज में जातिवाद के मुद्दे पर अपनी सोच और दृष्टिकोण को साझा किया है. वे सवाल कर रहे हैं कि क्या हमें अब भी जातिवाद की बातें करनी चाहिए या हमें इसे पीछे छोड़कर समृद्ध, सहिष्णुता और सामंजस्य की दिशा में बढ़नी चाहिए?
विचारों में बदलाव लाने की पहल
पुस्तक के प्रकाशन होने के बाद सामाजिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से जुड़े लोग इस गंभीर मुद्दे पर अपने विचारों में बदलाव करें. इसी उद्देश्य से पुस्तक को लिखा गया है. कैसे जाति में उलझकर कुछ लोग आज भी कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं.
सामाजिक विचारधारा को बढ़ावा देने का प्रयास
पुस्तक न केवल एक पुस्तक होगी, बल्कि एक सामाजिक चरित्रधारी विचारधारा को बढ़ावा देने वाली एक नई पहल भी होगी. इससे समाज को समृद्धि, समरसता, और समझदारी की दिशा में एक कदम और बढ़ाने का प्रयास है.
पुस्तक के प्रकाशक ऑथर्स ट्री पब्लिशिंग हाऊस, बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ने भी इसकी सराहना की है. ये भारत कि पहली पुस्तक है जिसने जातिवाद के कुरीतियों को बताया है. पुस्तक के माध्यम से आप हकीकत का सामना करेंगे और जानेंगे कि भारत के लोग एक होकर अभिन्न क्यूं हैं.