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आनंद मार्ग प्रचारक संघ के विश्व स्तरीय धर्म महासम्मेलन में 20 जोड़ों का हुआ क्रांतिकारी विवाह, श्रद्धेय पुरोधा प्रमुख दादा ने दिया आशीर्वाद, जमशेदपुर की सारिक व चांदनी भी रही शामिल
जमशेदपुर : आनंद मार्ग प्रचारक संघ के विश्व स्तरीय धर्म महासम्मेलन में 20 जोड़ों का क्रांतिकारी विवाह संपन्न हुआ. यह कार्यक्रम पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिला के आनंद नगर आनंद मार्ग के मुख्यालय में आयोजित हुआ. इस विश्व स्तरीय धर्म महासम्मेलन में देश-विदेश से काफी संख्या में लोग शरीक हुए. इस दौरान जमशेदपुर की सारिका का दरभंगा के सुजीत कुमार राय से और चांदनी कुमारी का लातेहार के अशोक देव से विवाह भी शामिल रहा.
महिला पौरोहित्य ने संपन्न कराया कार्यक्रम
जाति-पाति ,रंगभेद, नस्लवाद ,और दहेज प्रथा को दूर करने के लिए 20 जोड़ी अंतरजातीय विवाह (क्रांतिकारी विवाह) संपन्न हुआ एवं आशीर्वाद श्रद्धेय पुरोधा प्रमुख दादा के द्वारा दिया गया. आनंद मार्ग पद्धति से विवाह होता है. बगैर किसी तिलक दहेज के और जातिविहीन संप्रदाय विहीन विवाह को आनंद मार्ग में प्राथमिकता दी जाती है. इस विवाह में वर एवं वधु दोनों के परिवार की सहमति अति आवश्यक है. दोनों परिवार वर-वधु समान विचारधारा के हों, तभी विवाह को सफल बनाया जाता है. आनंदमार्ग प्रचारक संघ की अवधूतिका आनंदचित्रप्रभा आचार्या का कहना है कि महिला तो भौतिक स्तर पर स्वालंबी हो रही है, परंतु उन्हें मानसिक एवं आध्यात्मिक स्तर पर भी विकसित होने का अवसर प्रदान करना होगा. हम महिलाओं को केवल पुरोहित गिरी का अधिकार ही नहीं, बल्कि महिलाओं द्वारा वैवाहिक कार्यक्रम दाह संस्कार कर्म श्राद्ध कर्म करने का भी अधिकार समाज को देना होगा. आज तक समाज में पुरुष पौरोहित्य के द्वारा ही सारे धार्मिक कर्मकांड संस्कार कार्यक्रम संपन्न होता था. (नीचे भी पढ़ें)
आनंद मार्ग के संस्थापक श्री श्री आनंदमूर्ति जी ने महिलाओं को पौरोहित्य गिरी का अधिकार देकर महिला सशक्तिकरण को मजबूत किया है. समाज में सभी को समान अधिकार है, इससे किसी को वंचित करना घोर पाप है. महिला एवं पुरुष समाज रूपी गाड़ी के दो पहिए हैं. इनके समान अधिकार के बिना समाज का सर्वांगीण उत्थान संभव नहीं है. महिला एवं पुरुष को आनंदमार्ग में समान अधिकार दिया गया है. महिलाओं को भी मानसिक शारीरिक एवं आध्यात्मिक उत्थान का अधिकार मिलना चाहिए. अंधविश्वास से भी महिलाओं को ऊपर उठाना होगा. शादी विवाह के लिए सभी समय सभी भगवान के ही बनाए हुए हैं तो सब कुछ समान है. हर समय शुभ है इसका भेदभाव समाज में खत्म करना होगा, तभी समाज का सर्वांगीण विकास संभव होगा. आचार्या ने कहा कि नारी और पुरुष दोनों एक ही परम पिता के संतान है क्योंकि दोनों परम पिता के संतान हैं इसलिए जीवन की अभिव्यक्ति और अधिकार के क्षेत्र में दोनों को समान अधिकार है. महिलाओं को भी आनंद मार्ग में विवाह दाह संस्कार एवं श्राद्ध कराने का अधिकार दिया गया है. आनंद मार्ग के संस्थापक श्री श्री आनंदमूर्ति जी ने महिलाओं को पौरोहित्य गिरी का अधिकार देकर महिला सशक्तिकरण को मजबूत किया है. समाज में सभी को समान अधिकार है इससे किसी को भी वंचित करना घोर पाप है. महिला एवं पुरुष समाज रूपी गाड़ी के दो पहिए हैं इनके समान अधिकार के बिना समाज का सामाजिक उत्थान संभव नहीं है. आनंद मार्ग प्रचारक संघ का कहना है कि महिलाओं को हर स्तर पर महिला सशक्तिकरण की बात अब केवल दिखावा ही रह गया है. महिलाओं को हर स्तर पर अधिकार देना होगा तभी महिलाओं का सर्वांगीण विकास संभव है.