IJ DESK : उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में एसटीएफ के साथ मुठभेड़ में माफिया और शार्प शूटर विनोद कुमार उपाध्याय मारा गया. बताया जाता है कि गुप्त सूचना के आधार पर एसटीएफ ने विनोद कुमार उपाध्याय को घेर लिया, इस बीच अपने को घिरता देख विनोद कुमार उपाध्याय ने एसटीएफ पर गोली चलाई. इसके जवाबी कार्रवाई में एसटीएफ ने भी फायरिंक की, जिसमें विनोद उपाध्याय ढ़ेर हो गया. बता दें कि गोरखपुर पुलिस ने विनोद कुमार उपाध्याय पर 1 लाख रुपये का ईनाम रखा था. उप पर 35 से अधिक गंभीर आपराधिक मुकदमे दर्ज थे. विनोद उपाध्याय कितना शातिर क्रिमिनल था, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उसने पहली हत्या सिर्फ एक थप्पड़ के लिए की थी. तभी से वह चर्चा में आया था. यूपी सरकार द्वारा जारी टॉप-61 माफिया और बदमाशों की सूची में भी वह शामिल था.
2005 में की थी जीत नारायण मिश्र की हत्या
वर्ष 2004 में गोरखपुर जेल में बंद रहने के दौरान नेपाल के अपराधी जीत नारायण मिश्र ने विनोद उपाध्याय को एक थप्पड़ मारा था. उसके बाद 7 अगस्त 2005 को संतकबीर नगर में विनोद ने जीत नारायण की हत्या कर थप्पड़ का बदला लिया था. इस घटनाक्रम में जीत नारायण का बहनोई गोरेलाल भी मारा गया था. इसके अलावा गोरखपुर में हिंदू युवा वाहिनी के नेता सुशील सिंह को अगवा कर पीटने का भी आरोप विनोद उपाध्याय पर था. रेलवे, एफसीआई के ठेके हासिल करने के लिए सरेआम गुंडई भी उसने की थी.
बसपा के टिकट पर लड़ा था विधानसभा चुनाव
अपराध की दुनिया में कदम रखने के बाद विनोद उपाध्याय ने 2007 में गोरखपुर शहर से बसपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा था. इस दौरान उसे पराजय का सामना करना पड़ा था. उसके बाद 2007 में लखनऊ के हजरतगंज थाने में उस पर हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज हुआ था. वर्तमान में विनोद उपाध्याय गोरखपुर के गुलरिहा थाने में दर्ज मामले में फरार चल रहा था. पुलिस ने उस पर एक लाख का इनाम घोषित कर रखा था.
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