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Jharkhand Political Crisis : राजभवन से बुलावे के इंतजार में महागठबंधन के विधायक, विपक्ष भी मौके को भुनाने की ताक में, राष्ट्रपति शाषण की भी चर्चा
Ranchi : झारखंड में छाया सियासी संकट अभी दूर होता नहीं दिख रहा है. ताजा खबरों पर गौर करें तो एक ओर जहां महागठबंधन के विधायक दल के नेता चंपई सोरेन अपने विधायकों के साथ रांची के सर्किट हाउस में बैठे हुए हैं. महागठबंधन के इन विधायकों को इंतजार है राजभवन के बुलावे का. सूत्रों की मानें तो स्थिति यह भी उत्पन्न होने लगी है कि यदि राजभवन से विधायकों को बुलावा नहीं आता है तो वे राजभवन के सामने जाकर धरने पर बैठने का मन तक बनाने लगे हैं. दूसरी ओर यह भी कहा जा रहा है कि राज्य की विपक्षी पार्टियां इस मौके को भुनाने की ताक में है. महागठबंधन के 11 विधायकों पर डोरे डाले जाने की खबर फैल रही है. यह कहा जा रहा है कि विपक्षी पार्टियां 11 विधायकों को अपने पाले में कर सरकार बनाने की जुगत भिड़ा रही हैं. इस बीच झारखंड में राष्ट्रपति शाषण लगने की चर्चा भी होने लगी है. (नीचे भी पढ़ें)
इस मामले में जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय ने ट्ववीट भी किया है. उन्होंने लिखा है कि मुख्यमंत्री पद से हेमंत सोरेन के त्याग पत्र को स्वीकार लिए जाने के बाद झारखंड में कोई मुख्यमंत्री नहीं है, कोई सरकार नहीं है. राज्य में संवैधानिक संकट उत्पन्न हो गया है. वैकल्पिक सरकार बन जाने तक राज्य में अल्पकालिक राष्ट्रपति शाषण ही एकमात्र विकल्प है. जाहिर तौर पर विधायक सरयू राय के इस बयान से लगने लगा है कि मौजूदा परिस्थिति में राज्य में राष्ट्रपति शासन भी लग सकता है. वैसे, राजनीतिक विशेषज्ञ यह मान रहे हैं कि अब झारखंड का भविष्य राज्यपाल के रुख पर केंद्रित है. ऐसी स्थिति में राज्यपाल के अगले कदम का सभी को इंतजार है. वर्तमान परिस्थिति में आशंका यह भी जताई जा रही है कि सरकार गठन में देर होने पर विधायकों को तोड़ने को भी बढ़ावा मिल सकता है. हालांकि, यह भी नहीं भूलना चाहिए कि इसकी संभावना फिलहाल बेहद कम है. इसकी वजह इसी साल अंत में विधानसभा का चुनाव भी होना है. ऐसे में विपक्षी दलों की मंशा भी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगने की होगी.
यह है ताजा स्थिति
दूसरी ओर ताजा स्थिति पर गौर करें तो महागठबंधन के विधायक दल के नेता चंपई सोरेन का दावा है कि उनके साथ 47 विधायक हैं. हालांकि इनमें 43 विधायक ही राजभवन पहुंचे थे. इस बीच चर्चाओं पर गौर करें तो मौके को भुनाने की ताम में जुटी विपक्षी पार्टियां 11 विधायकों पर डोरे डालने की जुगत में भिड़ चुकी है. इस परिस्थिति में यदि कहीं 11 विधायकों ने पाला बदल दिया तो फिर पक्ष-विपक्ष के विधायकों के आंकड़ों में ज्यादा कुछ फर्क नहीं रहा जाएगा. क्योंकि बहुमत साबित करने के लिए 41 विधायकों की जरूरत है. ऐसी परिस्थिति यदि उत्पन्न हुई तो आगे की स्थिति समझी जा सकती है. वैसे, जिस तरह से झारखंड की राजनीतिक घटनाक्रम तेजी से बदल रही है, उसे लेकर फिलहाल कुछ भी कहना मुश्किल है.