जमशेदपुर :झामुमो के तेज तर्रार नेता और जमशेदपुर से सांसद सुनील महतो की हत्या 4 मार्च 2007 की शाम होली के दिन गालूडीह के बाघुड़िया स्कूल मैदान में गोली मारकर नक्सलियों ने कर दी थी. घटना में प्रखंड सचिव के साथ दो बॉडीगार्ड भी मारे गए थे घटना के आज पूरे 17 साल बीत गए हैं, लेकिन हत्याकांड अबतक रहस्य ही बना हुआ है. लोग भी जानना चाह रहे हैं कि आखिर इस रहस्य से कब पर्दा उठेगा. 17 सालों से दफन राज कब बाहर आएगा.
सुनील महतो की जब हत्या की गई थी तब मामले में काफी सरगर्मी थी. चारों तरफ सिर्फ इसी बात की चर्चा होती थी, लेकिन समय के साथ उसपर भी परत पड़ गई है. उनकी शहादत दिवस 4 मार्च को मनाई गई, लेकिन 17 सालों के बाद अब न्याय की मांग कोई नहीं करता है. सिर्फ शहादत दिवस के नाम पर खानापूर्ति भर ही की जाती है.
मेन शूटर कर रहा होमगार्ड की नौकरी
हत्याकांड के मेन शूटर हार्डकोर नक्सली रंजीत पाल उर्फ राहुल की बात करें तो वह वर्तमान में पश्चिम बंगाल के बाकुड़ा में होमगार्ड की नौकरी कर रहा है. रंजीत ने अपनी पत्नी के साथ 25 जनवरी 2017 को घटना के बाद कोलकाता हेडक्वार्टर में सरेंडर किया था. इसके बाद उसे ईनाम के साथ-साथ नौकरी भी मिली. अब वह मजे से जीवन व्यतीत कर रहा है.
आज तक उसे झारखंड क्यो नहीं ला सकी पुलिस?
हत्याकांड का मेन शूटर रंजीत है, लेकिन घटना के 17 सालों के बाद भी झारखंड की पुलिस उसे बंगाल से झारखंड नहीं ला सकी है? जब उसने सरेंडर किया था तब उसने पुलिस के समक्ष स्वीकार किया था कि संगठन के कहने पर उसने सांसद सुनील महतो को गोली मारी थी. आरोप था कि सुनील महतो नक्सलियों के खिलाफ थे.
बेकसूरों को भी भेजा गया था जेल
सुनील महतो हत्याकांड में पुलिस की ओर से कई बेकसूरों को भी जेल भेजने का काम किया गया था दो बरी हो गए हैं. इसमें फूलचांद टुडू, उत्पल पातर, सुधीर सोरेन, सुनाराम सोरेन, रामचंद्र सिंह, उत्तम मंडल, राजेन महतो, निर्मल महतो आदि शामिल हैं.
नाम के लिए बनाया गया है आदर्श गांव
घटना के बाद जिला प्रशासन की ओर से नाम के लिए बाघुड़िया को आदर्श ग्राम तो बना दिया गया, लेकिन आज तक गांव पहुंचने के लिए पक्की सड़क तक नहीं बनी है. लोग कहते हैं कि आखिर 17 सालों के बाद भी जिला प्रशासन क्या कर रही है. कच्ची सड़क से स्कूली बच्चों को आवागमन करने में भारी परेशानी होती है.