ASHOK KUMAR
जमशेदपुर : शुक्रवार 12 अप्रैल की शाम बिष्टूपुर में कब्जा हटाओ अभियान के दौरान होमगार्ड के जवानों ने व्यापारियों की लाठी तोड़ पिटाई की थी. इस पिटाई के बाद शुरू में तो व्यापारियों ने थाने में शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन अंततः दर्ज शिकायत को दोनों पक्षों की ओर से वापस ले लिया गया है. ऐसे में चर्चा यह हो रही है कि जब व्यापारियों ने अपनी शिकायत को ही वापस ले लिया है तब होमगार्ड जवानों पर कार्रवाई किस बात की. आखिर उन्हें लाइन क्लोज क्यों किया गया है.
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बिना शिकायत के ही कैसे होगी कार्रवाई?
आखिर शहर में अब इस बात की चर्चा हो रही है कि क्या अब बिना शिकायत के ही मामले में कार्रवाई की जाएगी. मंत्री जी भी कार्रवाई के लिए दबाव बना रहे हैं. आखिर जब किसी तरह की शिकायत ही नहीं है तब कार्रवाई किस बात की? आम लोग इसी बात को स्पष्ट करना चाहते हैं.
वीडियो फुटेज नहीं मानता कोर्ट
अगर वीडियो फुटेज की बात करें तो इसे हाईकोर्ट नहीं मानता है. कुछ इसी तरह का एक उदाहरण जमशेदपुर से ही डेढ़ साल पहले सामने आया था. घाघीडीह जेल में हुई हत्या के मामले में जमशेदपुर सीविल कोर्ट की ओर से 15 आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई गई थी. इसके बाद सभी की ओर से हाईकोर्ट में अपील की गई थी. वहां पर मात्र 4 माह में ही सभी आरोपियों को यह कहकर बरी कर दिया गया था कि हाईकोर्ट वीडियो फुटेज को नहीं मानता है.
व्यापारियों की जीत या बैकफुट पर आए
अब बात यह हो रही है कि क्या इस प्रकरण में व्यापारियों की जीत हुई है या वे बैकफुट पर आ गए हैं. इसे साफ कर पाना मुश्किल है. हालाकि सिटी मैनेजर पर कार्रवाई तो कर दी गई है.
