Jamshedpur : झारखंड के जिन चार लोकसभा सीटों पर सोमवार यानी, 13 मई को मतदान होना है उसमें खूंटी संसदीय सीट भी शामिल हैं. यह सीट इस बार राज्य का सबसे हॉट बना हुआ. इसकी वजह इस संसदीय सीट से भाजपा प्रत्याशी के रूप में केन्द्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा का चुनाव लड़ना है. आदिवासी बहुल इस सीट पर वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी अर्जुन मुंडा और कांग्रेस के कालीचरण मुंडा के बीच दिलचस्प मुकाबला हुआ था, जिसमें भाजपा प्रत्याशी अर्जुन मुंडा ने महज 1445 वोटों से जीत हासिल की थी. खास बात यह है कि इस बार फिर खूंटी संसदीय सीट पर भाजपा प्रत्याशी अर्जुन मुंडा के सामने ‘इंडिया’ अलायंस के प्रत्याशी के रूप में कांग्रेस नेता कालीचरण मुंडा ही है. यही वजह है इस सीट को राज्य का सबसे हॉट सीट माने जाने की. क्योंकि एक ओर भाजपा प्रत्याशी अर्जुन मुंडा इस चुनाव में अपनी जीत का अंतर बढ़ाने की कोशिश जुटे हुए हैं, जबकि दूसरी ओर कालीचरण मुंडा सहयोगी दलों के साथ मिलकर अपनी पिछली चुनावी हार का बदला लेने के लिए जी-तोड़ मशक्कत करते दिख रहे हैं. ऐसे में यही सवाल उठ रहा है कि क्या एक बार फिर कालीचरण के चक्रव्यूह को भेद पाएंगे अर्जुन मुंडा ?
भाजपा को विकास के मुद्दे पर जीत की उम्मीद
वैसे, इस चुनाव में भाजपा को यहां विकास के मुद्दे पर जीत की उम्मीद है. मालूम हो कि भाजपा प्रत्याशी अर्जुन मुंडा केंद्र में जनजातीय मंत्रालय संभाल चुके हैं. साथ ही, अंतिम के कुछ महीनों में उन्होंने कृषि विभाग भी संभाला है. उन्हें उम्मीद है कि खूंटी की जनता विकास के मुद्दे पर वोट देते हुए उनकी जीत सुनिश्चित करेगी.
क्या है कांग्रेस प्रत्याशी का आरोप
इस बीच खूंटी से इंडिया अलायंस के कांग्रेस प्रत्याशी कालीचरण मुंडा का आरोप है कि केंद्र में पांच वर्षों तक मंत्री रहने के बावजूद अर्जुन मुंडा खूंटी संसदीय क्षेत्र के लिए किसी बड़ी विकास योजनाओं को सरजमीं पर उतारने में विफल रहे. आदिवासी समाज हित में भी कोई बड़ी योजना नहीं आई.
यह भी जानना है जरूरी
वैसे, यह भी जानना जरूरी है कि भाजपा की ओर से खूंटी क्षेत्र में कई सांगठनिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जा चुके हैं. यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी खूंटी में अमर शहीद बिरसा मुंडा की जन्मस्थली से कई बड़ी योजनाओं की शुरुआत की.
इस बार भी कड़ी टक्कर की उम्मीद
खूंटी सीट के हालात पर नजदीकी नजर रखनेवालों की मानें तो इस सीट पर एकबार फिर भाजपा अर्जुन मुंडा और इंडिया अलायंस के कांग्रेस प्रत्याशी कालीचरण मुंडा के बीच कड़ी टक्कर है. ऐसे लोग यह भी कहते हैं कि चुनावी प्रचार में इंडिया अलायंस प्रत्याशी भले ही भाजपा से थोड़े पिछड़ते जरूर दिख रहे हों, लेकिन जहां तक जनसमर्थन का सवाल है तो वे अपने प्रतिद्वंदी दल को पूरी तरह से टक्कर दे रहे है. इस बीच भारत झारखंड पार्टी और झारखंड पार्टी के अलावा कई निर्दलीय प्रत्याशी भी जोर-शोर से प्रचार में जुटे हैं. इधर, राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि अर्जुन मुंडा और कालीचरण मुंडा दोनों ही जोड़-घटाव के माहिर खिलाड़ी हैं. ऐसे में जिसके तरकश में ज्यादा और नए तीर होंगे, जाहिर तौर पर चुनावी बाजी वही मारेगा.
ये भी हैं चुनावी मैदान में
खूंटी सीट पर जो चुनावी समीकरण बना है उससे तय है कि दोनों दलों के उम्मीदवारों को के समक्ष कुछ चुनौतियां भी है, जिससे उन्हें पार पाना होगा. खास बात यह है कि इस सीट से इस बार ईसाई मिशनरियों और पत्थलगड़ी के प्रभाव वाले क्षेत्र में चर्च और पत्थलगड़ी आंदोलन से जुड़े उम्मीदवार भी चुनावी मैदान में हैं. इसके अलावा झामुमो के पूर्व विधायक बसंत लोंगा भी यहां से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं, पत्थलगड़ी आंदोलन से जुड़ी बबिता कच्छप भी भारत आदिवासी पार्टी के बैनर से चुनावी मैदान में है. इससे एक ओर जहां कांग्रेस के वोटों में बिखराव की आशंका जताई जा रही है, वहीं कुरमी-महतो समाज की कुछ खबरें भाजपा की चिंता बढ़ाने वाली बताई जा रही है. इस लिहाज से दोनों दलों के प्रत्याशियों के समक्ष कुछ चुनौतियां जरूर है. माना जा रहा है कि इसमें जो प्रत्याशी अपनी चुनौतियों को ज्यादा पार पाने में सफल होगा, उसकी जीत की उम्मीद उतनी ही बढ़ेगी.
संसदीय सीट : एक नजर
खूंटी लोकसभा क्षेत्र में छह विधानसभा क्षेत्र आते हैं. इनमें खरसावां, तमाड़, तोरपा, खूंटी, सिमडेगा और कोलेबिरा शामिल है. इस चुनाव में 13.12 लाख से अधिक मतदाता यहां के छह उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेंगे. इस लोकसभा क्षेत्र में छह विधानसभा क्षेत्र इनमें तमाड़ रांची में पड़ता है, जबकि खरसावां विधानसभा क्षेत्र का कुछ हिस्सा खरसावां-सरायकेला और पश्चिमी सिंहभूम जिले में भी पड़ता है. वहीं सिमडेगा और कोलेबिरा विधानसभा क्षेत्र सिमडेगा जिले में हैं. इन छह विधानसभा क्षेत्रों में दो सीट भाजपा के पास है, बाकि चार सीट इंडिया गठबंधन के पास हैं. इस सीट पर अनुसूचित जनजाति समुदाय के मतदाता ही निर्णायक माने जाते हैं. यहां उनकी आबादी 65 प्रतिशत है. वहीं, खूंटी सीट पर ईसाई समुदाय की आबादी 27 प्रतिशत के आसपास है, जबकि इस सीट पर 7.02 प्रतिशत मुस्लिम समुदाय के और 6.4 प्रतिशत दलित समाज के मतदाता भी हैं.