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Lohardaga Lok Sabha Election-2024 : JMM के बागी MLA के चुनावी मैदान में कूदने से मुकाबला हुआ दिलचस्प, कांग्रेस का बिगाड़ेंगे खेल या भाजपा की राह होगी आसान?
Jamshedpur : झारखंड के जिन लोकसभा सीटों पर अधिकांश निगाहें टिकी है उसमें लोहरदगा संसदीय सीट भी शामिल हैं. इस सीट से भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में समीर उरांव खड़े हैं, वहीं कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में उनके सामने सुखदेव भगत ताल ठोक रहे हैं. इस बीच झामुमो (JMM) के बागी विधायक (MLA) चमरा लिंडा भी चुनावी मैदान में कूद पड़े हैं. भले ही इसे लेकर झामुमो ने उन्हें पार्टी के सभी पदों से मुक्त कर दिया है, लेकिन इसमें कोई शक नहीं कि उनके चुनावी मैदान में कूदने से इस सीट पर मुकाबला दिलचस्प हो गया है. राजनीति समीक्षक यह मानने लगे हैं कि झामुमो के बागी विधायक जिसकी वोट बैंक में सेंधमारी करेंगे, उसका चुनाव जीतना ज्यादा मुश्किल साबित होगा. यही वजह है इस सीट पर होनेवाले चुनावी मुकाबले के कुछ ज्यादा ही दिलचस्प होने की. वैसे, यह भी सच है कि निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे झामुमो के बागी विधायक चमरा लिंडा भी अपनी जीत का दावा करने से नहीं चूक रहे हैं. इसकी साफ वजह है कि भले ही लोहरदग्गा संसदीय सीट पर पिछले तीन दशक से भी अधिक समय तक कांग्रेस और भाजपा के बीच मुख्य मुकाबला होता रहा है. बावजूद इसके चमरा लिंडा वर्ष 2004, 2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव में अपनी ताकत एहसास कर चुके हैं. यह बड़ी वजह मानी जा रही है उनके चुनावी मैदान में उतरने की. दूसरी ओर, राजनीतिक विश्लेषक यह भी मानते हैं कि यदि चमरा लिंडा चुनावी मैदान में यूं ही डटे रहे तो, इसका नुकसान कांग्रेस के साथ भाजपा उम्मीदवार को भी उठाना पड़ सकता है. खुद चमरा लिंडा के समर्थकों का कहना है कि इस बार लोहरदगा संसदीय क्षेत्र का चुनाव परिणाम चौंकाने वाला साबित होगा और उनके उम्मीदवार चमरा लिंडा की जात होगी. यहां बता दें कि बीते 2 मई को चमरा लिंडा ने लोहरदगा के भंडरा में चुनावी रैली में हुंकार भरी थी. उनकी जनसभा में लोगों का हुजूम दिखाई दिया. जहां चमरा लिंडा ने अपनी जीत का दावा करते हुए भाजपा और कांग्रेस को बाहरी पार्टी करार दिया था. इतना ही नहीं, उनकी इस रैली में उमड़ी भीड़ ने दोनों पार्टियों की चिंता भी बढ़ा दी थी.
वर्ष 2009 में चमरा लिंडा रहे थे दूसरे नंबर पर
लोहरदगा सीट की बात करें तो वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस के डॉ रामेश्वर उरांव विजयी हुए थे. रामेश्वर उरांव को 2,23,920 वोट मिले, जबकि भाजपा के दुखा भगत 1,33,665 वोट लाकर दूसरे स्थान पर रहे. इस चुनाव में चमरा लिंडा को 58,947 वोट मिले और वे तीसरे स्थान पर रहे. हालांकि, 2009 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के सुदर्शन भगत ने 1,44,628 वोट लाकर जीत हासिल की थी. चमरा लिंडा को 1,36,345 वोट मिले और वे दूसरे स्थान पर रहे. उनके मुकाबले रामेश्वर उरांव 1,29,622 वोट हासिल कर तीसरे स्थान पर थे. 2014 के चुनाव में भाजपा के सुदर्शन भगत को 2.26 लाख वोट मिले, वहीं रामेश्वर उरांव 2.20 लाख वोट हासिल कर दूसरे स्थान पर रहे, जबकि चमरा लिंडा को 1.18 लाख वोट मिला था. वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के सुदर्शन भगत को 3.71 लाख वोट मिले, जबकि कांग्रेस के सुखदेव भगत को 3.61 लाख वोट प्राप्त हुए थे.
35 वर्षों से मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच
इस सीट पर पिछले करीब 35 वर्षों से भाजपा और कांग्रेस के ही बीच मुकाबला होता आ रहा है. इस बार भी हालात कुछ वैसे ही बताए जा रहे हैं. रही बात झामुमो के बागी विधायक के रूप में चमरा लिंडा के चुनावी मैदान में उतरने की तो भाजपा नेता इसे इंडिया अलायंस में चल रहे मतभेद करार दे रहे हैं. उनका चमरा लिंडा के बगावत कर चुनाव मैदान में उतरने से इंडिया अलायंस के ही वोट बैंक में सेंधमारी होगी, जिसका सीधा लाभ भाजपा प्रत्याशी समीर उरांव को मिलेगा. वहीं, कांग्रेश नेताओं का कहना है कि चमरा लिंडा पहले भी इस सीट निर्दलीय चुनाव लड़ते रहे हैं. बावजूद इसके, जीत कांग्रेस को जीत मिली है. क्योंकि चमरा लिंडा कांग्रेस ही नहीं, बल्कि भाजपा के वोट बैंक में भी सेंध लगाते हैं. वैसे, कांग्रेसी इस बात से भी इंकार नहीं कर रहे हैं कि चमरा लिंडा खुद ही अपनी स्थिति कमजोर चुके हैं. इस वजह से पिछली बार की तरह इस बार उन्हें वोट नहीं मिलेगा.
आरएसएस से जुड़े रहे हैं भाजपा के समीर उरांव
बात भाजपा प्रत्याशी समीर उरांव की करें तो वे अपने शुरुआती दौर से ही आरएसएस से जुड़े रहे हैं. वे सिसई से विधायक रह चुके हैं. वर्ष 2018 में भाजपा ने समीर उरांव को राज्यसभा भेजा था. इस साल उनके राज्यसभा का कार्यकाल पूरा हुआ है. उसके बाद पार्टी ने सुदर्शन भगत की जगह लोहरदगा सीट से उन्हें अपना प्रत्याशी बनाया है.
वर्ष 2005 में राजनीति में आए सुखदेव भगत
वहीं, कांग्रेस प्रत्याशी सुखदेव भगत झारखंड प्रशासनिक सेवा के अधिकारी रहे चुके हैं. वर्ष 2005 में वीआरएस लेकर उन्होंने राजनीति का रूख किया. वर्ष 2005 में कांग्रेस ने उन्हें लोहरदगा सीट से विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिया, जिसमें उन्होंने जीत हासिल की थी. हालांकि, वर्ष 2009 और 2014 के चुनाव में सुखदेव भगत को आजसू पार्टी के कमल किशोर भगत से पराजय का सामना करना पड़ा. फिर 2015 के उपचुनाव में कांग्रेस की टिकट पर सुखदेव भगत ने एक बार फिर चुनावी जीत हासिल करने में कामयाबी पाई थी. हालांकि, 2019 के लोकसभा चुनाव में महज कुछ हजार वोटों के अंतर से उन्हें एक बार फिर चुनावी शिकस्त झेलनी पड़ी थी.
पीएम नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी भी हो चुकी है रैली
लोहरदगा संसदीय सीट की अहमीयत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यहां भाजपा के स्टार प्रचारक और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी हाल ही में रैली कर चुके हैं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोहरदगा संसदीय क्षेत्र के सिसई में चुनावी सभा को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने झारखंड में व्याप्त भ्रष्टाचार पर जमकर निशाना साधा। वहीं दूसरी ओर, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की रैली लोहरदगा क्षेत्र के बसिया में आयोजित की गई थी. रैली में राहुल गांधी ने सरना धर्म कोड का समर्थन किया. साथ ही, भाजपा पर निशाना साधते हुए सत्ता में आने पर अग्निवीर योजना को समाप्त की बात कही थी. जाहित तौर पर इससे साफ पता चलता है कि भाजपा और कांग्रेस ने इस लोहरदगा सीट का अपना प्रतिष्ठा का सवाल बना रखा है.