पूर्वी सिंहभूम : जिला के 34 पंचायत वाले पोटका प्रखंड को काटकर 15 पंचायत वाली प्रस्तावित कोवाली प्रखंड को यथाशीघ्र प्रखंड का दर्जा दिलाने की मांग को लेकर दक्षिण पोटका उन्नयन समिति प्रतिनिधिमंडल विधायक संजीव सरदार से मिला. विधायक को मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के नाम पर ज्ञापन सौंपा गया.
आवेदन में कहा गया है कि पोटका प्रखंड 1960 के पहले ही बना है. उसी समय से ही पोटका प्रखंड बड़ा क्षेत्र होने के कारण पोटका को दो भागों में बांटा गया है. पोटका वन और पोटका टू. शिक्षा के क्षेत्र में प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी अलग-अलग दो ग्रैजेट्ड्स पद सृजित है. पोटका 2 क्षेत्र को दक्षिण पोटका भी कहा जाता है. 15 पंचायत वाली प्रस्तावित कोवाली प्रखंड है.
ये पंचायत हैं शामिल
प्रस्तावित कोवाली प्रखंड में कोवाली, नारदा, हरिणा, जानमडीह, जामदा, हेंसलआमदा, तेंतलापोड़ा, टांगराईन, चाकड़ी हेंसड़ा, रसुनचोपा, गंगाड़ीह, पोड़ाडीहा, हल्दीपोखर- 1 हल्दी पोखर -2 पंचायत आता है. अति पिछड़ा, अनुन्नत, अशिक्षित, आदिवासी बहुल पांचवीं अनुसूची क्षेत्र में आता है.
अविभाजित बिहार से हो रहा आंदोलन
इसका आन्दोलन अविभाजित बिहार के समय से हो रहा है. जैसे ही 15 नवंबर 2000 को बिहार से अलग होकर झारखंड नाम से एक अलग राज्य का गठन हुआ तब बिहार सरकार ने प्रस्तावित कोवाली प्रखंड सम्बंधित सभी कागजात ग्रामीण विकास विभाग झारखंड सरकार को आवश्यक कार्यालय लौटा दिया है.
पूर्व सीएम अर्जुन मुंडा तक पहुंचा था आवेदन
16 जून 2006 को झारखंड सरकार के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा को आवेदन दिया गया था. तब उनके निर्देशानुसार तत्कालीन सचिव के ज्ञापांक संख्या 5101596/मु. म. स. रांची दिनांक 5 जुलाई 2006 के द्वारा सचिव ग्रामीण विकास विभाग झारखंड सरकार को निर्देश दिया गया था कि कोवाली नाम से नया प्रखंड सृजन सम्बंधित नियमानुकूल कारवाई करने कि कृपा की जाए. आवेदन के साथ जमीन से लेकर सभी सम्बंधित कागजात की छायाप्रति संलग्न किया गया था.
प्रतिनिधिमंडल में ये थे शामिल
प्रतिनिधिमंडल में दक्षिण पोटका उन्नयन समिति के वर्तमान कार्यकारी सचिव रामेश्वर पत्रों, रामचंद्र टुडू, जय हरि सिंह मुंडा, महानंद रजक, लखन चंद्र मंडल, आशीष कुमार मंडल, उज्जवल कुमार मंडल, आशीष कुमार मंडल आदि शामिल थे.