सरायकेला-खरसावां : जिला क़े चांडिल स्थित हारूडीह-धतकीडीह में ब्रिटिश काल से पिछले 110 वर्षो से सरस्वती पूजा का आयोजन होते आ रहा है। पहले यह झोपड़ीनुमा घर में मूर्ति स्थापित कर पूजा अर्चना होती थी। लेकिन,धीरे- धीरे वर्ष 2007 में इसे पक्के मंदिर का रूप दिया गया। कोल्हान प्रमंडल में यह एकमात्र इतने पुराना मां सरस्वती का मंदिर है। लोगों की ऐसी मान्यता है कि सच्चे मन से मां के दरबार मे मन्नत मांगने से मां सरस्वती उसकी मन्नत को पूरा करती है।
मंदिर में मां सरस्वती, गणेश, लक्ष्मी एवं भगवान शंकर की संगमरमर की मूर्ति स्थापित की गई है। मेला कमेटी के सचिव लक्ष्मीकांत महतो ने बताया कि
सरस्वती पूजा के अवसर पर हारूडीह-धतकीडीह गांव में एक सप्ताह तक विशाल मेला एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। इस बार 18 फरवरी से 24 फरवरी तक मेला का कर्यक्रम आयोजित की गई है । यह मेला झारखंड, पश्चिम बंगाल, बिहार एवं ओड़िशा में प्रसिद्ध है। सरस्वती पूजा को लेकर मंदिर की रंग रोगन किया जा रहा है। मंदिर में संगमरमर के आकर्षक गणेश, सरस्वती, लक्ष्मी व शिवलिंग की प्रतिमा स्थापित है। मेला में दूर दराज से काफी संख्या में ग्रामीण पहुंचते है।