जमशेदपुर :टाटानगर रेलवे स्टेशन पर पीएम मोदी का आगमन 15 सितंबर को होने वाला है. उनके आगमन कार्यक्रम को देखते हुए स्टेशन और इसके आस-पास के करीब आधा किलोमीटर की दूरी पर से अवैध कब्जा हटाने का काम किया जा रहा है. इस काम में रेलवे को आरपीएफ और जिला पुलिस का भी सहयोग मिल रहा है. यहां पर बिना किसी विरोध के अवैध कब्जा हटाया जा रहा है. कब्जा हटाने के पहले ही सभी दुकानदारों को बता दिया गया था कि पीएम आने वाले दुकानों को हटवाना होगा.
आम तौर पर जब कभी रेल जीएम का टाटानगर में आगमन होता है तब इतना कब्जा नहीं हटाया जाता है. सिर्फ स्टेशन के पास से ही अवैध कब्जा हटाकर खानापूर्ति की जाती थी, लेकिन इस बार पीएम मोदी का आगमन हो रहा है. ऐसे में सभी रेल अधिकारी हड़के हुए हैं. कहीं उनपर ही गाज न गिर जाए यह सोचकर ही उनकी रातों की नींद और दिन का चैन बिगड़ गया है.
स्टेशन टीओपी के दरवाजे पर लगी थी दर्जन भर दुकानें
टाटानगर स्टेशन गोलचक्कर पर ही बागबेड़ा थाने का टीओपी बना हुआ है. इस टीओपी के दरवाजे से लेकर चारों तरफ एक दर्जन की संख्या में अवैध रूप से दुकानें लगी हुई थी. सभी दुकानों को सोमवार को हटवा दिया गया है.
आजसू कार्यालय तक चला जिला प्रशासन का डंडा
स्टेशन के ठीक 250 मीटर की दूरी पर ही आजसू का कार्यालय बना हुआ है. कार्यालय को छोड़कर बाकी के सभी अवैध रूप से बनाए गए दुकानों को सोमवार को हटवा दिया गया है.
रेलवे एईएन के आवास के सामने भी लगी थी दुकानें
टाटानगर के एईएन वन के ठीक आवास के सामने में ही अवैध रूप से दुकानों को लगवाया गया था. इस दुकानों से आरपीएफ और स्थानीय पुलिस को लाखों की अवैध कमाई होती थी.
चाईबासा बस स्टैंड के आस-पास भी हुआ सफाया
स्टेशन के ठीक बाहर ही चाईबासा की चरफ जाने वाली बस स्टैंड है. बस स्टैंड के अगल-बगल में 50 से अधिक दुकानें लगी हुई थी. सभी दुकानों को सोमवार को हटवाने का काम किया गया है. इसके लिए जेसीबी भी लगाया गया था.
दुकान लगाने वालों पर क्यों नहीं होती कार्रवाई
जिले के डीसी और एसएसपी बार-बार यह बयान देते रहते हैं कि जिसके थाना क्षेत्र में अवैध रूप से दुकानें या अवैध रूप से मकानें बनेंगे तब संबंधित थानेदार के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी, लेकिन यह नियम रेलवे स्टेशन क्षेत्र में आज तक लागू नहीं हुआ है. लोग जानना चाहते हैं आखिर किसके आदेश पर दुकानें लगी थी. बगल में रेल एसपी का कार्यालय है. इसके ठीक बगल में आरपीएफ का पोस्ट है. इसके ठीक 150 मीटर आगे बागबेड़ा का टीओपी है. बावजूद अवैध दुकानें कैसे लग गई थी. चर्चा का विषय बना रहता है.