जमशेदपुर :कदमाका रहने वाला आजसू नेता मुन्ना सिंह पर आरोप था कि उसने 7 सितंबर की शाम एक आदिवासी महिला और उसकी बेटी को पीटा था. इसका वीडियो वायरल हुआ था. बावजूद पुलिस की ओर से मामले को गंभीरता से नहीं लिया गया था. बाद में जब पुलिस पर राजनीतिक व सामाजिक दबाव बना तब जमानत होने के बाद उसे गिरफ्तार कर लिया. उसपर एक दूसरा मामला दर्ज कर जेल भेजने की योजना थी, लेकिन कोर्ट ने उसे फिर से जमानत दे दी. इसके बाद पुलिस को मुंह की खानी पड़ी. पुलिस यह मानकर चल रही थी कि मुन्ना सिंह को जेल भेज देंगे, लेकिन यह सपना पुलिस के लिए अधूरा ही रह गया.
आदिवासी महिला की डंडे से पिटाई करने के मामले को कदमा पुलिस ने शुरू से ही गंभीरता से नहीं लिया था. अगर मामले में गंभीर रहती तब मुन्ना सिंह की गिरफ्तारी आसानी से हो सकती थी. घटना को तीन दिनों के बाद भी वह शहर में ही था. उसके बाद जब उसे जानकारी मिली कि उसपर मामला दर्ज हो गया है तब उसने कोर्ट में सरेंडर कर दिया. इस दौरान उसे जमानत भी मिल गई.
अबला के समर्थन में आया आदिवासी समाज
शुरू में पुलिस को लग रहा था कि अबला महिला के समर्थन में कौन आएगा, लेकिन जब आदिवासी समाज सामने आ गया और मामला सीएम तक पहुंच गया तब पुलिस की परेशानी बढ़ गई थी. आनन-फानन में पुलिस ने धमकी देने का एक दूसरा मामला दर्ज कर मुन्ना सिंह को जेल भेजने की तैयारी में थी, लेकिन कोर्ट से उसे फिर से जमानत मिल गई. ऐसे में पुलिस की एक नहीं चल पाई. पुलिस के लिए जेल भेजना सपना भर ही रह गया.