चक्रधरपुर : वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन को यह सोचकर रेलवे की ओर से चलाई जा रही है कि ट्रेन समय पर चलेगी और रेल यात्रियों को इसका लाभ मिलेगा, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हो रहा है. वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन को तो पैसेंजर से भी बदतर कर दिया गया है. बैलगाड़ी की चाल में ट्रेन चल रही है और यात्रा करने वाले यात्री कोच में उफ्फ कर रहे हैं.
राउरकेला-हावड़ा वंदे भारत 5 घंटे लेट
राउरकेला-हावड़ा वेदे भारत एक्सप्रेस की रविवार की बात करें तो यह ट्रेन राउरकेला से 2 घंटे लेट खुली थी. टाटानगर स्टेशन तक का सफर तय करने में ट्रेन 5 घंटे लेट हो गई. वंदे भारत को हावड़ा 7.40 बजे तक पहुंच जाना चाहिए था, लेकिन आधी रात को भी ट्रेन हावड़ा नहीं पहुंची थी.
किराया डबल से भी ज्यादा
वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन का किराया आम ट्रेनों की अपेक्षा डबल से भी ज्यादा है. इस ट्रेन पर यात्री समय बचाने के लिए सवार हो रहे हैं, लेकिन उन्हें ट्रेन पर यात्रा करना भारी पड़ रहा है.
आम ट्रेनें भी चल रही लेट से
आम ट्रेनों की बात करें तो वह भी घंटों विलंब से चल रही है. रविवार को टिटलागढ़-हावड़ा इस्पात एक्सप्रेस ट्रेन की हालत वन्दे भारत से भी बदतर रही. झारसुगुडा में इस्पात एक्सप्रेस ढाई घंटे लेट थी. लेकिन चक्रधरपुर पहुंचते पहुँचते यह ट्रेन पांच घंटे लेट हो गयी. हद तो तब हो गयी जब यह ट्रेन सीनी से टाटानगर 25 किलोमीटर का फासला तय करने में 3 घंटे का समय ले लिया. यानि की 8 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से यह ट्रेन चली. एक तो गर्मी उपर से ट्रेन की लेटलतीफी से ट्रेन के अन्दर यात्री हलकान और परेशान रहे. झारसुगुडा में ढाई घंटे लेट ट्रेन टाटानगर में पहुंचते-पहुंचते आठ घंटे लेट हो गयी. इस ट्रेन को शाम 7 बजे हावड़ा स्टेशन पहुंच जाना था. लेकिन रविवार की यह ट्रेन रात 12 बजे भी खड़गपुर भी नहीं पहुंच पायी थी. आधी रात को ट्रेन खेमाशुली स्टेशन पर थी.