पोटका : पूर्वी सिंहभूम जिले के पोटका के खैरपाल गांव के रहने वाले खेत्र मोहन पाल (79) पिछले 52 सालों से मां दुर्गा की मूरत बना रहे हैं. इसे उन्होंने अपना पेशा नहीं बनाया है बल्कि एक दुर्गा पूजा पंडाल में निः शुल्क देने का काम करते हैं. इस बार जो मूरत बना रहे हैं उसके लिए वे पिछले 10 माह से लगे हुए हैं. अपनी कला के लिए वे पोटका के साथ-साथ आस-पास के लोग भी जानते हैं. वे कई लोगों को मूर्ति बनाने की ट्रेनिंग भी दे चुके हैं, लेकिन खुद कभी इसे पेशा नहीं बनाया. उनकी मूरत देखने के लिए सिर्फ पोटका के ही नहीं बल्कि झारखंड-ओडिशा के लोग भी खींचे चले आते हैं.
20 साल की उम्र से कर रहे निर्माण
20 साल की उम्र से मूर्ति का निर्माण कर रहे श्री पाल जीवन काल में 1971 से लगातार बंगाल क्लब खैरपाल को 50 सालों से निः शुल्क मूर्ति दे रहे हैं. अब पिछले 4 सालों से अपने ही घर में भव्य मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की मूर्ति का निर्माण कर पूजा-अर्चना कर रहे हैं. मूर्तिकार खेत्र मोहन पाल ने बताया कि कोलकाता के कुम्हार टोली में 1962 में मूर्ति कला की शिक्षा ली थी. उसके बाद आज 2024 तक लगातार मां दुर्गा की मूर्ति बनाते आ रहे हैं.
10 माह तक बनाते हैं मूर्ति
लगभग 10 महीने तक लगातार मूर्ति के निर्माण में समय देते हैं. 2023 में 17 फीट की मां कामाख्या का मूर्ति बनाया था. तब क्षेत्र के लिए मुख्य आकर्षण का केंद्र था. मां दुर्गा के विभिन्न रूपों का विभिन्न वर्ष में वर्णन करते हुए मूर्तिकार प्रयास करते हैं. ताकि क्षेत्र में लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना रहे.
27 मुखों वाला मूरत हो रहा तैयार
खैरपाल के नेताजी चौक में इस वर्ष आदि शक्ति महामाया के 14 फीट का 27 मुखों वाला मां दुर्गा की भव्य मूर्ति का निर्माण अंतिम चरण में है. मूर्तिकार ने कहा कि सात दिनों के भीतर मूर्ति पूर्ण कर दिया जाएगा. मूर्तिकार के साथ-साथ प्रवचन भी देते हैं. विभिन्न देवी देवताओं के वेद, उपनिषद् आदि का प्रवचन देने के लिए झारखंड और ओडिशा के कई जिले में जाते हैं.