रांची : शहीद-ए-आजम भगत सिंह की जयंती है. परंतु भगत सिंह की प्रतिमा पिछले डेढ़ वर्षो से राजधानी रांची के एक थाने में कैद है. थाने में सैकड़ों कबाड़ गाड़ियों के बीच भगत सिंह की प्रतिमा रखना दुर्भाग्य है. सरकार और प्रशासन सोई हुई है. उन्हें जगाने को लेकर आज मजबूरन राष्ट्रीय युवा शक्ति के द्वारा उनकी जयंती पर मोराबादी मैदान में जिस स्थान पर भगत सिंह की प्रतिमा का स्थान दिया गया था. उस स्थान पर एक दिवसीय उपवास पर बैठे हैं.
5 अक्टूबर तक दिया अल्टीमेटम
अगर सरकार और जिला प्रशासन 5 अक्टूबर तक भगत सिंह की प्रतिमा के लिए स्थान नहीं देती है तो 6 अक्टूबर को भगत सिंह की प्रतिमा को थाने से छुड़ाकर हजारों हजार की संख्या में लेकर निकलेंगे और किसी स्थान पर लगाएंगे. भगत सिंह ने मात्र युवावस्था में ही देश को आजाद करने के लिए अंग्रेजों के द्वारा कितनी यातनाएं सही फिर भी देश प्रेम का मनोबल नहीं डोला. हंसते-हंसते 23 मार्च 1931 को फांसी पर चढ़ गए हैं.