रांची : विश्व हिंदू परिषद के प्रचार प्रसार सह प्रमुख प्रकाश रंजन ने कहा कि नवरात्र के दिनों में हमारी सनातन संस्कृति की परंपरा के तहत डांडिया नृत्य का सामूहिक आयोजन किया जाता आ रहा है. इसका मूल भाव सामाजिक समरसता पर आधारित होता है. परंतु आधुनिकता युक्त वर्तमान समय में विशेष तौर पर नवयुवक और यूवतियां हमारे मूल संस्कृति की परंपरा के अज्ञानता के अभाव में इसपर कहीं ना कहीं प्रहार करते दिख रहे हैं. डांडिया नृत्य को डांडिया नाइट के रूप में आयोजन करते हुए आधुनिकता को पूरी तरह से हावी करते हैं. इस आयोजन में नृत्य और संगीत में पहनावा भी परंपरागत लगभग ना के बराबर होता है और ना ही संगीत और गाने संबंधित डांडिया परंपरागत रूप में बजाए जाते हॉं. दूसरी और सनातन संस्कृति पर आंतरिक रूप से प्रहार करने वाले की भागीदारीता भी इसमें विशेष तौर पर देखी जा सकती है. आधुनिकता के रंग में रंगे इस प्रकार का डांडिया नाइट का आयोजन पूरी तरीके से सनातन संस्कृति पर सेंधमारी होता दिखाई देता है.
आधुनिकता पर हावी
इस विषय पर विश्व हिंदू परिषद के प्रचार प्रसार सह प्रमुख का कहना है कि परंपरागत डांडिया नृत्य एक प्रकार से सामूहिक पारिवारिक उत्सव होता है. पर अभी के वर्तमान समय में आधुनिकता इस प्रकार से हावी हो गई है कि अब यह बड़े-बड़े होटलों में डांडिया नाइट का आयोजन टिकट लेकर आधुनिकता युक्त हो गया है. इसका फायदा सनातन संस्कृति पर आंतरिक प्रहार करने वाले लव जिहादि उठते हैं. इसे एक प्रकार से योजना के रूप में लेते हैं इस कारण हमें आधुनिक डांडिया नाइट से बचनी चाहिए.
सुजीत सिंह ने क्या कहा
सामाजिक हिंदूवादी नेता सुजीत सिंह का कहना है कि यदि गरबा नृत्य का आयोजन करना ही है तो परंपरागत रूप से गरबा नृत्य का आयोजन किया जाना चाहिए. आयोजन में यदि कोई पुरुष सम्मिलित होने आते हैं तुम्हें सनातन संस्कृति के परंपरागत रीति के अनुसार तिलक लगाया जाए.
सनातन हिंदू संस्कृति धर्म रक्षक ने क्या कहा
सनातन हिंदू संस्कृति धर्म रक्षक सामाजिक युवा कार्यकर्ता भैरव सिंह का कहना है कि गरबा डांडिया नृत्य एक प्रकार से सनातन संस्कृति में आस्था जगत जननी मां जगदंबे के चरणों में समर्पित होने का विषय है पर इस प्रकार के सामूहिक आयोजन में आधुनिकता के आड़ में कुंठित मानसिक प्रवृत्ति के लोग जो एक प्रकार से कालनेमि राक्षस की भांति होते हैं. वह सनातन संस्कृति पर आंतरिक प्रहार करने का कार्य करने लगते हैं. इसके प्रति सजग रहने की आवश्यकता है. गरबा नृत्य आस्था के साथ मां भवानी के चरणों में समर्पित होना चाहिए.