मुसाबनी : मुसाबनी के दो बच्चों के नेतृत्व में कुछ बच्चे समूह बनाकर सेवा और मानवता के लिए उल्लेखनीय कार्य कर रहे हैं. दोनों लोगों के बीच चर्चा का विषय बने हुए हैं. लोग बच्चों के प्रयास की भूरी-भूरी प्रशंसा कर रहे हैं. उनकी उत्साह और मनोबल बढ़ाने के लिए और बच्चों को भी उनसे जुड़कर इस प्रयास को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं.
सेवा ही धर्म है थीम को अपनाया
मुसाबनी का एकिशोर अभिजीत कुमार और रोहित नायक अपने स्वयं के प्रेरणा से ही “सेवा ही धर्म है” वाक्य को अपनी थीम मानकर अपने दैनिक जीवन में से कुछ समय समाज की सेवा का संकल्प लिया. इसी संकल्प के अंतर्गत अपने स्कूल-ट्यूशन के बाद बचे हुए समय को व्यर्थ ना गंवाकर उस समय को अपने स्थानीय बाजार में भटक रहे बेसहारा, बीमार और कष्ट से जीवन गुजार रहे गोवंश की मदद और सेवा करने में समय लगाने का निश्चय किया.
पॉकेट मनी से खरीदा हंसिया
दोनों ही छात्र हैं और गोसेवा के लिए इन दोनों के ही पास पर्याप्त धन नहीं था, लेकिन इस बात को अपने लक्ष्य के लिए अड़चन नहीं बनने दिया. बिना धन के ही जुट गए बेसहारा, भूखे और बीमार गोवंशीय पशुओं की सेवा के अपने ध्येय में थे. गो सेवा की इसी कड़ी में अपने पॉकेट मनी को बचाकर उससे हंसिया खरीदी और खुद ही आस-पास के खेतों और मैदानों से घास काट कर इकट्ठा करके गो सेवा शुरू की. अपने खुद के घर से ही बची हुई रोटियां और सब्जी और फलों के छिलकों को इकट्ठा कर के नियमित रूप से गो सेवा करना जारी रखे हुए है.