जमशेदपुर :झारखंड का वन विभाग इतना मजबूत नहीं है कि चीता और बाघ को जंगल से खोज निकाले. वन विभाग ने तो अभी तक चीता और बाघ की टोह तक नहीं लगा पाई है. जब इससे संबंधित कोई वीडियो वारयल होता है तब वन विभाग का साफ जवाब होता है कि वे इसकी पुष्टी नहीं कर सकते हैं. चांडिल में पिछले 10 दिनों से बाघ का आतंक है. बाघ से सामना अबतक दो लोगों का भी हो चुका है. वन विभाग भी इसकी पुष्टी कर रहा है, लेकिन वन विभाग अभी तक इसकी टोह भी नहीं लगा पाया है. कुल मिलाकर पिछले 10 दिनों से बाघ की टोह लगाने की कोशिश वन विभाग का अमला कर रहा है, लेकिन नतिजा ढाक से तीन पात ही निकला है.
अभी चांडिल में होने की है आशंका
बाघ की बात करें तो 31 दिसंबर 2024 को पहली बार चांडिल तुलग्राम और इसके आस-पास में देखा गया था. इसके बाद से लगातार यह खबरें आ रही है कि चांडिल ईलाके में ही बाघ अपना डेरा डाले हुए है. सूचना पर वन विभाग की रेस्क्यू टीम क्षेत्र का भ्रमण भी कर रहा है, लेकिन कुछ हाथ नहीं आ रहा है.
सीसीटीवी कैमरे में भी कैद नहीं हुआ बाघ
वन विभाग ओर से चांडिल के कुछ जंगलों में सीसीटीवी कैमरा भी लगाया गया है, लेकिन समाचार लिखे जाने तक बाघ उसमें कैद नहीं हुआ है. वन विभाग सिर्फ इतना कहकर चुप्पी साध लेता है कि बाघ की खोज का प्रयास जारी है. कभी-कभी तो वन विभाग की टीम जमीन पर बने चिन्ह को भी झुठला दिया करता है.
आदित्यपुर में 17 मार्च 2024 को देखा गया था चीता
झारखंड के कोल्हान के सरायकेला-खरसावां जिले में 17 मार्च 2024 को आदित्यपुर के आरएसबी प्लांट में चीता को देखा गया था. इसका सीसीटीवी फुटेज भी सामने आया था. बावजूद वन विभाग चीता का पता तक नहीं लगा पाया था. अब बाघ पर लोग यह चर्चा कर रहे हैं क्या बाघ का पता लगा पाना और रेस्क्यू करना वन विभाग के बूते है?
पटमदा में 22 जनवरी 2020 को देखा गया था बाघिन
पटमदा की बात करें जोड़सा पंचायत के चिथलगोड़ा में बाघिन को देखा गया था. तब बाघिन ने एक बकरी को अपना निवाला बनाया था. इस दृश्य को खुद वनरक्षी मंगल भकत और लखीराम सरदार ने देखा था, लेकिन भय के कारण दोनों वहां से भाग निकले थे. इसके ठीक पहले 21 जनवरी 2020 को झुंझका गांव में बाघिन को लोगों ने देखा था. घटना के दीन धीरेंद्र टुडू की पत्नी जंगल में बकरी और बैल चराने गई हुई थी. इस बीच ही बाघिन ने बैल पर हमला कर दिया था, लेकिन बैल तो वहां से भाग निकला था. इस बीच बाघिन ने बकरी को अपने चंगूल में फंसाकर निवाला बना लिया था. तब भी पूरे पटमदा में बाघिन के नाम पर दहशत का माहौल था.