जमशेदपुर : सरकार के विभिन्न योजनाओं से जुड़ने के बाद गांव की महिलाएं आज न केवल आत्मनिर्भर हुई है, बल्कि अपने परिवार और समाज को एक नई दिशा देने में जुटी हुई है। ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं में आई जागरुकता नारियों के सम्मान की नई गाथायें लिख रही है, जो निश्चित रूप से महिला समाज को गौरवान्वित कर रही है। पोटका प्रखंड के भाटिन पंचायत अंतर्गत मेचुआ गांव सोनामनी लोहार की है।
स्वरोजगार का नया द्वार खुला
झारखंड सरकार के ग्रामीण विकास विभाग की ओर से संचालित झारखंड स्टेट लाईवलीहुड प्रमोशन सोसाईटी (जे.एस.एल.पी.एस.) से जुड़ने के बाद अपने हौसला और मेहनत से न केवल अपनी परिवार की स्थिति को सुधारी। अपने बच्चों को भी अच्छी शिक्षा दिला रही है। मैट्रीक तक पढ़ी लिखी गांव की महिला सोनामनी लोहार की उंगलियां लैपटॉप पर ऐसे चलते हैं, जैसे लगता है कि लंबी कंप्यूटर शिक्षा के बाद हाथ चला रही है।ग्राम संगठन मे सक्रिय महिला की जिम्मेदारी समूह की निगरानी करना और संचालन की स्थिति को देखने का होता है। यह कार्य वह बखूबी निभाती गयी, जिसके एक साल बाद बाद बैंक ऑफ इंडिया मेचुआ शाखा की ओर से उन्हें बैंक बीसी (बैंकिंग क्रॉसपोंडेंस) का कार्य देकर एक नयी जिम्मेदारी दी गई। शुरू मे बैंकिग के कार्य को लेकर उन्हें थोड़ा झिझक महसूस हुई। रांची मे प्रशिक्षण लेने के बाद साहस किया और कार्य करना शुरू किया। शुरू में उन्होंने समुह के लेन-देन का ही काम करना शुरू किया, जिसके बाद आम लोगों से कारोबार शुरू किये। इसके लिए वाह लैपटॉप भी ली और अपने घर मे एक मिनी बैंक खोलकर कार्य करते और अच्छी सेवा देते-देते लोग उन्हें जानने लगे और उनके पास आने लगे। आज वह बैंकवाली दीदी के रूप मे एक पहचान बना चुकी है।
प्रतिदिन 80 हजार से डेढ़ लाख का लेन-देन
सोनामनी लोहार अपने मिनी बैंक में शुरू में केवल रुपये लेन-देन का कार्य करती थी, लेकिन अब वह बैंक ऑफ इंडिया मेचुआ शाखा के खाता खोलने के साथ-साथ मनी ट्रांसफर और बैंक में लोगों को बीमा भी कराती है। वह अपने मिनी बैंक के साथ-साथ वृद्धा/विधवा/स्वामी विवेकानंद प्रोत्साहन भत्ता (दिव्यांग लोगों के लिए) के राशि निकासी हेतू वह घर मे जाकर बैंकिंग सेवा देती है।