SARAIKELA : एससी-एसटी, ओबीसी समन्वय समिति की ओर से आदित्यपुर -2 के जागृति मैदान के समीप स्थित अंबेडकर चौक पर देश की पहली शिक्षिका सावित्री बाई फुले की जयंती परंपरापूर्वक मनायी गयी. इस मौके पर समिति की संरक्षक सह राजद नेत्री श्रीमति शारदा देवी के अलावा मंच के पदाधिकारी निवर्तमान वार्ड पार्षद पांडी मुखी, खिरोद सरदार सहित समिति से जुडे लोगों के अलावा काफी संख्या में स्थानीय लोग मौजूद रहें. इस दौरान अपने संबोधन में समिति की संरक्षक सह राजद नेत्री शारदा देवी ने कहा कि आजादी के पहले तक भारत में महिलाओं की गिनती दोयम दर्जे में होती थी. आज की तरह उन्हें शिक्षा का अधिकार नहीं था. वहीं अगर बात 18वीं सदी की करें तो उस समय महिलाओं का स्कूल जाना भी पाप समझा जाता था. ऐसे समय में सावित्रीबाई फुले ने जो कर दिखाया वह कोई साधारण उपलब्धि नहीं है. वह जब स्कूल पढ़ने जाती थीं तो लोग उन पर पत्थर फेंकते थे. इन सब के बावजूद वह अपने लक्ष्य से कभी नहीं भटकीं और लड़कियों व महिलाओं को शिक्षा का हक दिलाया. उन्हें आधुनिक मराठी काव्य का अग्रदूत माना जाता है. भारत की पहली महिला शिक्षिका सावित्रीबाई ने अपने पति समाजसेवी महात्मा ज्योतिबा फुले के साथ मिलकर 1848 में उन्होंने बालिकाओं के लिए एक विद्यालय की स्थापना की थी.
इनका रहा खास योगदान
इस कार्यक्रम को सफल बनाने में एससी-एसटी, ओबीसी समन्वय समिति के दुर्गा राम बैठा, भरत राम, वीरेन्द्र रजक, संतोष रजक, पिंटू रजक सहित मंच से जुड़े अन्य पदाधिकारियों एवं सदस्यों का खास योगदान रहा.
इसे भी पढ़ें-आनंद मार्ग प्रचारक संघ के विश्व स्तरीय धर्म महासम्मेलन में 20 जोड़ों का हुआ क्रांतिकारी विवाह, श्रद्धेय पुरोधा प्रमुख दादा ने दिया आशीर्वाद, जमशेदपुर की सारिक व चांदनी भी रही शामिल