आदित्यपुर : भगवान जगन्नाथ महाप्रभु रथ यात्रा के बाद पड़ने वाले पहले मंगलवार को मां विपत्तारिणी की पूजा की जाती है. इसी के तहत विपत्तारिणी की पूजा सरायकेला जिले के आदित्यपुर में भी विधि-विधान के साथ मां विपत्तारिणी की पूजा की गयी.
विपत्तारिणी पूजा देवी शक्ति को समर्पित एक शुभ उपासना है जो देवी काली की भी अभिव्यक्ति करता है. विपद तारिणी पूजा. रथ यात्रा के बाद और बहुदा रथ के यात्रा से पहले हिन्दू पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह की शुक्ल पक्ष की मंगलबार और शनिवार के दिन मनाया जाता है. बंगाली समाज की महिलाओं द्वारा विशेष तौर पर मां विपत्तारिणी की पूजा श्रद्धा पूर्वक प्रत्येक बर्ष की जाती है. प्रचलित मान्यता यह है कि जो लोग व्रत का विधि पूर्वक पालन करते हैं उन्हें देवी विपत्तारिणी का आशीर्वाद प्राप्त होता है. वे परिवार को सभी प्रकार के संकटों से बचाने में सक्षम हो जाते हैं.
13 प्रकार के फल से होती है पूजा
विपत्तारिणी की पूजा में नैवेद्य के रूप में देवी को 13 प्रकार के फल, फूल, मिष्ठान का भोग लगाया जाता है. देवी की पूजा गुड़हल के फूल से की जाती है. जो सौभाग्य को देने वाला है. व्रत करने वाली महिलाएं अपने बाएं हाथ में चौदह गांठों के साथ लाल रंग का पवित्र धागा पहनती हैं. यदि पुरुष व्रत करते हैं, तो उन्हें यह धागा दाहिने हाथ में पहनते हैं. इस दौरान मंदिरों में पुजारी द्वारा मां विपत्तारिणी की व्रत कथा भी सुनाई जाती है.