चाईबासा। कुड़मी महतो समुदाय के द्वारा समाज को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने को लेकर की जा रही मांग के विरोध में आदिवासी समन्वय समिति ने आदिवासियों को एकजुट करने का अभियान छेड़ दिया है। कूड़मी महतो की मांग के विरोध में 5 मार्च को रांची में पूरे झारखंड के आदिवासियों का महाजुटान कराया जायेगा। मोरहाबादी मैदान में आदिवासी बचाव महारैली का आयोजन होगा। महाजुटान के जरिए आदिवासी समुदाय के लोग अपनी एकजुटता और शक्ति का प्रदर्शन करेंगे।
रांची के मोरहाबादी मैदान में होने वाले कार्यक्रम के लिए आदिवासी समन्वय समिति की टीम हर जिले में घूम रही है और ज्यादा से ज्यादा लोगों को कार्यक्रम में शामिल होने के लिए आमंत्रित कर रही है। चाईबासा में आदिवासी समन्वय समिति की ओर से लक्ष्मीनारायण मुंडा, देव कुमार धान, पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव और प्रेम शाही मुंडा ने कोल्हान आदिवासी एकता मंच के अध्यक्ष पूर्व मंत्री देवेंद्र नाथ चांपिया, पूर्व सांसद चित्रसेन सिंकू, रमाय पुरती और संयोजक गब्बर सिंह हेंब्रम सहित अन्य सदस्यों के साथ बैठक की।
लक्ष्मीनारायण मुंडा ने कहा कि आदिवासी समुदाय पर जो चौतरफा हमला हो रहा है उसी से बचाने के लिए झारखंड बचाओ रैली का आयोजन किया जा रहा है। कुड़मी महतो समुदाय के लोग आंदोलन के जरिए राजनीतिक दलों और सरकार को डराने की कोशिश कर रहे हैं। उनकी इसी कोशिश के खिलाफ हम आदिवासी समुदाय के लोगों को एकजुट और जागरूक करना चाहते हैं।
पूर्व मंत्री देवेंद्र नाथ चांपिया ने कहा है कि अंग्रेजों के समय के गैजेटियर में एबोरिजिनल का आधार मानकर कुर्मी समाज के लोग आज आदिवासी का दर्जा मांग रहे हैं। यदि ब्रिटिश काल में यह लोग एबोरिजिनल थे तो ब्रिटिश काल में जो एक्ट बना उसमें इन्हें एबोरिजिनल घोषित क्यों नहीं किया। इंडियन सकसेशन एक्ट अंग्रेजों के काल में उसमें इन्हें हिंदू घोषित किया गया। सीएनटी एक्ट 1908 में बना उसमें कुड़मी महतो को ओबीसी घोषित किया गया।