सरायकेला-खरसावां : जहाँ आज लोग चन्द्रलोक मे बसने की बात करते हैं । सरकार चहुमुखी विकास की बात करती है । वहीं आज 21 वीं सदी मे भी कई ऐसे गांव है ,जहां लोगों को बुनियादी सुविधाओं से बंचीत रहना पङ रहा है । ईचागढ़ प्रखंड का कांकीटांड़ गांव जो आज भी आदिम युग मे जीने को मजबुर है । गांव में न रास्ता है न स्कूल ओर न ही शुद्ध पेयजल है । गांव से मुख्य मार्ग तक निकलने के लिए खेतों से होकर पगडंडी रास्ता होकर जाना पङता है । बरसात के दिनों में ग्रामीणों को खेतों का मेढ़ से आना-जाना करना पङता है । ग्रामीण बताते हैं की बरसात के दिनों में रोगी को चिकित्सा के लिए डोली मे ढोकर मुख्य मार्ग तक ले जाना पङता है । गांव मे करीब 100 परिवार निवास करते हैं । झारखंड अलग होने के 20 बर्ष बाद भी गांव जाने के लिए सरकार रास्ता का निर्माण नही करा पाई है । ग्रामीण बताते हैं की गांव मे उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय था, जिसे बर्ष 2016 मे मर्ज कर दिया गया है । बच्चों को खेतों और मुख्य सङक पार कर सितु स्कूल जाना पड़ता है । यहां तक की गांव के लोग पुरखों का कुंएं से पानी लाकर प्यास बुझाने को मजबूर है । ग्रामीणों का कहना है की विधायक सांसद तो चुनाव के समय गांव आते हैं और वादे कर चले जाते हैं । मगर आज तक सड़क आदि बुनियादी सुविधाओं से ग्रामीण वंचित है ।