Ranchi : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से 20 जनवरी को ईडी की पूछताछ के दौरान सीएआररपीएफ के सीएम हाउस के पास पहुंचने के बाद रांची प्रशासन की ओर से सीआरपीएफ के आईजी और जवानों पर दर्ज एफआईआर को लेकर राजनीति तेज हो गई है. इस बीच भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने सरकार और राज्य के अधिकारियों के साथ सूबे के मुख्यमंत्री पर भ्रष्टाचार के कई गंभीर आरोप लगाए. साथ ही सीआरपीएफ पर हुये एफआईआर को भी गलत करार दिया है. वहीं, इस मामले में झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रवक्ता मनोज पांडे का कहना है कि वहां धारा 144 लागू होने के बाद भी झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकर्ता उस क्षेत्र में गये, यह उनकी मनोभावना थी और उन पर भी प्रशासनिक कार्रवाई की जा रही है. (नीचे भी पढ़ें)
बावजूद इसके सीआरपीएफ जैसे प्रशासनिक अधिकारी की नियुक्ति वहां पर किस परिस्थिति में और किसके आदेश पर की गई, यह भाजपा को बताना चाहिए. वहीं, कांग्रेस ने भी इस मामले में भाजपा पर पलटवार किया है. दूसरी ओर इस मामले में भाजपा प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव का कहना है कि मुख्यमंत्री आवास से कुछ दूरी पर स्थित जस्टिस एलपीएन शाहदेव चौक पर मुख्यमंत्री का हजारों कार्यकर्ताओं को संबोधित करना निषेधाज्ञा लागू होने के बाद भी किसी तरह का कोई मामला नहीं बना. वहीं, मौके सीआरपीएफ के नहीं आने से सत्ताधारी दल के कार्यकर्ताओं के द्वारा ईडी के अधिकारियों के साथ किसी तरह की अनहोनी से भी इनकार नहीं किया जा सकता था.