जमशेदपुर : रेलवे में लोको पायलट से 8 घंटे की बजाए 14 से 15 घंटे तक काम लिया जा रहा है. इसका विरोध रांची में लोको पायलटों की पत्नियों ने करते हुए डीआरएम ऑफिस का घेराव किया था. अब इस तरह का घेराव कार्यक्रम चक्रधरपुर रेल मंडल के डीआरएम ऑफिस में भी हो सकता है. इस समस्या से सिर्फ रांची के लोको पायलट ही त्रस्त नहीं हैं बल्कि पूरे भारतीय रेल में ही इस तरह की समस्या है.
नियम है 16 घंटे का रेस्ट
अगर रेलवे की ओर से 14-15 घंटे काम लिया जा रहा है तो उन्हें नियम के हिसाब से उन्हें 16 घंटे का रेस्ट भी दिया जाना चाहिए. बावजूद ऐसा नहीं किया जा रहा है. लोको पायलटों की नींद भी पूरी नहीं होती है और उनका कॉल बुक आ जाता है.
दुर्घटना को आमंत्रण देने जैसा काम
अगर लोको पायलट की ओर से रेस्ट ठीक से नहीं किया जाता है तो वे ट्रेन चलाते समय न्याय नहीं कर सकेंगे. ऐसे में ट्रेन भी दुर्घटनाग्रस्त हो सकती है. इसके बाद कार्रवाई लोको पायलट पर ही होगी.
पूरा परिवार है परेशान
लोको पायलटों की पत्नियों का कहना है कि पति की समस्या के कारण पूरा परिवार ही परेशान है. लोको पायलटों का मानसिक संतुलन बिगड़ रहा है. शारीरिक हालत भी बिगड़ती जा रही है.
आवाज उठाने पर कर देते हैं सस्पेंड
अगर लोको पायलट नियमों की बात करते हैं तो उन्हें सस्पेंड तक कर दिया जाता है. ऐसे में कोई भी लोको पायलट कुछ भी बोल नहीं पाते हैं. चुपचाप सबकुछ सहन करते हुए अपनी नौकरी बचाने का काम कर रहे हैं.
फैमिली काउंसिलिंग पर भड़के लोग
लोको पायलटों की पत्नियों का फैमिली काउंसिलिंग करने की बात रेलवे की ओर से की गई है. इससे पत्नियां भड़की हुई हैं. उनका कहना है कि वह क्यों काउंसिलिंग में शामिल होंगी? उन्हें मानसिक रूप से परेशान करने की योजना रेलवे की ओर से क्यों बनाई जा रही है?