DELHI NEWS : दिल्ली में आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल की हार के बाद न सिर्फ केजरीवाल पर इसका प्रभाव पड़ रहा है बल्कि आप पर भी संकट के बादल छाने लगे हैं. केजरीवाल लोकसभा चुनाव के पहले तक पीएम बनने का सपना देख रहे थे, लेकिन अब तो उनकी सीएम बनने की कसक भी अधूरी ही रह गई. ने अपनी विधानसभा सीट भी नहीं बचा सके. अब वे जनप्रतिनिधि भी नहीं रहे. आशंका यह भी है कि ईडी ने शराब घोटाले से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग केस में आप को भी आरोपी बनाया है. कोर्ट में चार्जशीट भी दाखिल की गई है. ऐसे में दोष साबित होने पर पार्टी के भी अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगेगा और केजरीवाल के पास संयोजक का पद भी नहीं रह सकेगा. राष्ट्रीय पार्टी के अध्यक्ष के रूप में मिली सभी सरकारी सुविधाएं भी वापस ले ली जाएगी.
2014 में पीएम मोदी से वाराणसी से हारे थे केजरीवाल
अरविंद केजरीवाल इसके पहले 2014 में पीएम मोदी के खिलाफ वाराणसी से लोकसभा सीट से चुनाव लड़े थे और हार गए थे. तब पीएम मोदी ने न्हें 3 लाख 71 हजार वोटों से हराया था. अरविंद केजरीवाल पिछले 10 सालों से दिल्ली में सत्ता पर थे. 26 नवंबर 2012 को आम आदमी पार्टी की एंट्री हुई थी. 12 सालों के बाद आप राष्ट्रीय पार्टी बन गई. बीजेपी, कांग्रेस और टीएमसी के बाद चौथी राष्ट्रीय पार्टी आप बन गई थी. दिल्ली के बाद आप ने पंजाब में भी सरकार बनाई. इस बार नयी दिल्ली से केजरीवाल का यह चौथा चुनाव था. पहली बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा है.
अब क्या करेंगे केजरीवाल?
पार्टी की हार के बाद अरविंद केजरीवाल ने साफ कर दिया है कि वे मजबूत विपक्षी पार्टी के रूप में अपनी भुमिका निभाएगी. उनकी इसमें किस तरह की भुमिका होगी इसका खुलासा समाचार लिखे जाने तक नहीं किया है. उन्होंने साफ कहा है कि वे लोगों के बीच रहेंगे और उनके लिए काम करते रहेंगे.