Ashok Kumar
जमशेदपुर : कहने को तो एमजीएम अस्पताल को कोल्हान का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल कहा जाता है, बावजूद यह अस्पताल सालोंभर अपनी गतिविधियों को लेकर चर्चा का विषय बना रहता है. कुछ इसी तरह का एक मामला पश्चिमी सिंह जिले के चाईबासा जगन्नाथपुर के बुरूसाही गांव से सामने आया है. यहां पर इलारत लाल कार्डधारी महिला की मौत होने के बाद उसके शव को लेकर जाने के लिये सरकारी गाड़ी के चालक ने 4000 रुपये की मांग की. इसके बाद परिवार के लोगों ने घटना की लिखित शिकायत एमजीएम अधीक्षक के नाम पर की इसके बाद जाकर उसकी बात सुनी गयी और फिर सरकारी वाहन शनुवार की सुबह 8 बजे मुहैया कराया गया.
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माना बोबोंगा ने बतायी पूरी कहानी
इनसाइड झारखंड न्यूज से बातचीत में जगन्नाथपुर बुरूशाही के रहनेवाले माना बोबोंगा ने बताया कि उसकी पत्नी सुबनी बोबोंगा (40) के पेट में 26 फरवरी को अचानक से दर्द शरू हुआ था. इसके बाद परिवार के लोग उसे लेकर एमजीएम अस्पताल पहुंचे हुये थे. यहां पर उसका इलाज चल रहा था. इलाज के दौरान ही सुबनी बोबोंगा ने शुक्रवार की आधी रात दम तोड़ दिया.
चालक ने सौदा करने के लिये दूसरे का नंबर दिया
माना बोबोंगा ने बताया कि पत्नी की मौत के बाद वे जब शव पहुंचाने का अनुरोध करने के लिये सरकारी चालक के पास गये तब उसने मोबाइल नंबर (7762917050) दिया. इस नंबर पर बात करने वाला व्यक्ति शव पहुंचाने के लिये सौदा करने लगा. उसने साफ कहा कि 4000 रुपये लगेगा.
गाय बेचकर पत्नी का करवा रहा था इलाज
माना बोबोंगा ने बताया कि वह अपनी पत्नी का इलाज गाय बेचकर करवा रहा था. अस्पताल में पत्नी को भर्ती तो कराया था, लेकिन इलाज का पूरा खर्च उसे ही वहन करना पड़ रहा था. सिर्फ डॉक्टर की फीस और बेड का चार्ज नहीं देना पड़ रहा था. दवाई के अलावा अन्य खर्च भी माना से लिये जा रहे थे.
जलपान करने के लिये भी नहीं बचे थे रुपये
सुबनी बोबोंगा की मौत के बाद तो पति माना के पास जलपान करने के लिये भी रुपये नहीं बचा था. वह गाड़ी बुक कर कहां से अपने गांव जा सकता था. जब उससे 4000 रुपये की मांग की गयी थी तब तो उसके पैर के नीचे से जमीन ही खिसक गयी थी.
मजदूरी कर परिवार का पेट पालता है माना
माना बोबोंगा ने बताया कि उसके पांच बच्चे हैं. बड़ी बेटी 15 साल की है, जबकि सबसे छोटा बेटा अभी कुछ माह का ही है. वह किसी तरह से मेहनत मजदूरी कर अपने और परिवार के सदस्यों का पेट पालता है. कहीं बाहर भी काम मिले तो वह चला जाता था. अब पत्नी का अंतिम संस्कार भी वह चंदा इकट्ठा करके ही कर सकेगा.
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