Jamshedpur : जिले में शनिवार को अक्षय नवमी का पर्व धार्मिक उत्साह के साथ मनाया गया। इस अवसर पर महिलाओं ने विभिन्न स्थानों पर एकत्रित होकर आंवले के पेड़ की पूजा-अर्चना की। इसके साथ ही पेड़ में रक्षा सूत्र बांधकर व परिक्रमा कर अपने परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की। पेड़ को मूली, खिचड़ी, बैंगन, जल, दुध, धूप दीप, नैैवेद्य, आदि चढ़ाया गया। महिलाओं ने बताया कि हर साल कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को अक्षय नवमी मनाई जाती है। शंकुतला देवी और बबली देवी आदि ने बताया कि इस पर्व को आंवला नवमी के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी तिथि से द्वापर युग का प्रारंभ हुआ था।
क्या है मान्यता
पौराणिक कथाओं के अनुसार माना जाता है कि अक्षय नवमी पर माता लक्ष्मी ने पृथ्वी लोक पर भगवान विष्णु तथा शिवजी की पूजा आंवले के रूप में की थी। इस कारण आज भी महिलाएं अपने परिवार के साथ वृक्ष के नीचे बैठ धार्मिक कथाओं को पढ़ती और सुनाती हैं। शास्त्रों के अनुसार इस दिन आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर और उसी के नीचे भोजन करने से रोगों का नाश होता है। इस दिन को प्रकृति के पर्व के नाम से भी जाना जाता है। लोग इस दिन प्रकृति को आभार प्रकट करते है। वहीं इस पूजा का एक वैज्ञानिक पहलू भी है। वैज्ञानिकों के मुताबिक जब आंवला के पेड की पूजा होती है तो मौसम तेजी से बदल रहा होता है। ऐसे में इस दौरान आंवला के वृक्ष के करीब जाना और उसका सेवन करना लाभकारी होता है। आंवले में बड़ी मात्रा में विटामिन सी पाया जाता है।