जमशेदपुर : मध्य प्रदेश के बालाघाट से 15 सालों पूर्व लापता बृजलाल का परिवार के लोगों ने यह समझकर उसी समय क्रियाकर्म कर दिया था वह मर गया है. 15 सालों के बाद बृजलाल एक बार फिर से जीवित हो गया है. परिवार के लोग उसे लेने के लिए मंगलवार को मध्य प्रदेश से पलासाबनी के डेमकाडीह पहुंचे और उसे लेकर घर गए.
बृजलाल के बारे में बताया गया कि उसे जून 2023 को पलासबनी के डेमकाडीह में सुबोध और महेश गौड़ ने बारिश में भींगते हुए देखा था. इसके बाद उसे शरण दी थी.
होटल देवा में कर रहा था काम
बृजलाल होटल देवा होटल तक पहुंचा और वहां पर काम कर अपना जीवन यापन किसी तरह से कर रहा था. पूछने पर उसने बताया था कि उसके गांव का नाम सोनटोला है. गांव के निकट पाथरी नाम का जगह है.
दीपक रंजीत की पहल पर मिले परिजन
इधर हाल ही में सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्त्ता दीपक रंजीत ने बृजलाल से भेंट की. इस बीच उसने गांव का नाम सोनटोला और पाथरी ही बताया. पूछताछ में पता चला कि वह आदिम जनजाति वैगा समुदाय का है.
भुवन सिंह कोरामा ने बताया गांव मध्य प्रदेश में है
आदिवासियों के बीच काम करने वाले भुवन सिंह कोरामा से बात की तब पता चला कि पाथरी गांव मध्य प्रदेश में है. जिला के नाम बालाघाट है. इसके बाद परिवार के लोगों से संपर्क हो सका और परिजन पहुंचे. मंगलवार को बृजलाल को परिजनों को सौंप दिया गया.
केरल गया था काम करने
बृजलाल के बारे में बताया गया कि वह केरल में चापाकल गाड़ी में काम करने के लिए निकला था. उसके बाद से उसका कुछ पता नहीं चला था. इसके बाद परिजनों ने मरा समझकर गांव में उसका क्रियाकर्म कर दिया था और भुल गए थे.
एक माह का बेटा हो गया है 15 साल का
बृजलाल का बेटा तब एक माह का था, लेकिन आज 15 सालों को हो गया है. वह भी अपने पिता को लेने के लिए पहुंचा था. भुवन सिंह कोराम के प्रयास से सुखसिंह नेताम, समारु सिंह धुरबे और बृजलाल का छोटा भाई धुरबे लेने के लिए पहुंचे थे. इधर देवा होटल में बृजलाल को मंगलवार को विदाई भी दी गई.