जमशेदपुर : पूजा और त्योहारों के समय रेलवे की ओर से बार-बार यह घोषणा की जाती है कि ट्रेनों में एक्सट्रा कोच लगाने का काम किया जा रहा है. इधर पिछले एक सप्ताह से टाटानगर स्टेशन से होकर गुजरनेवाली कई महत्वपूर्ण ट्रेनों में पैर रखने भर भी जगह नहीं मिल रही है. ऐसे में रेल यात्री मजबूरन कैसे यात्रा कर रहे हैं यह तो भुक्तभोगी रेल यात्री ही समझ रहे हैं.
कांटाबांजी-हावड़ा ईस्पात एक्सप्रेस की बात करें तो इस ट्रेन में 13 दिसंबर को पैर रखने भर भी जगह नहीं थी. हम बात कर रहे हैं ट्रेन की जेनरल कोच की.
ट्रेन टीसी वसूलते हैं अवैध रुपये
अगर कोई जेनरल कोच का टिकट लेकर आरक्षित कोच पर सवार हो गया तब ट्रेन पर ड्यूटी करनेवाले टीसी रेल यात्रियों से अवैध वसूली करते हैं. इसको लेकर बराबर हंगामा भी होता है.
बाकी ट्रेनों की हालत भी है ऐसी ही
टाटानगर स्टेशन से गुजरनेवाले पैसेंजर ट्रेनों को छोड़कर बाकी ट्रेनों की भी हालत ठीक ऐसी ही है. दुर्ग-राजेंद्रनगर या गीतांजलि और कुरला एक्सप्रेस की बात करें. रेल यात्रियों को तो जेनरल कोच पर यात्रा करना ही दूभर हो गया है.
यात्री सुविधाओं का भी टोटा
जेनरल कोच पर यात्रा करनेवाले यात्रियों को सुविधाओं का भी टोटा रहता है. अगर बाथरूम जाना है तो दरवाजे पर कुंडी नहीं लगी है. भीतर का बेसिन काम नहीं कर रहा है. अगर बेसिन ठीक है तो फ्लस काम नहीं कर रहा है. कुल मिलाकर जेनरल कोच पर यात्रा करना दूभर है.
जिम्मेवारी से मुंह फेरे हुए हैं रेल अधिकारी
रेल मंडल के अधिकारियों को इस पर ध्यान देने की जरूरत है कि आखिर रेल यात्रियों की समस्याओं का समाधान कैसे किया जाए. रेल अधिकारी तो सिर्फ मालगाड़ी पर ही अपना पूरा ध्यान फोकस किए हुए हैं. कुल मिलाकर जेनरल कोच के यात्रियों की सुधि लेने वाला कोई नहीं है.