Jamshedpur : शहर के बिष्टुपुर स्थित राम मंदिर प्रांगण में सीएएसएआर की ओर से आयोजित तीन दिवसीय एशियन एस्ट्रोलॉजिकल कांफ्रेंस का दूसरे दिन का शुभारंभ शनिवार की सुबह नौ बजे हुआ. इस दौरान सर्वप्रथम भारत के विभिन्न राज्यों से आये ज्योतिर्विदों का स्वागत किया गया. मौके मुख्य अतिथि के रूप में नेपाल के ज्योतिष लक्ष्मण पति और विशिष्ट अतिथि के रूप में नेपाल के ज्योतिष राजीव आचार्य उपस्थित हुए. साथ ही बांग्लादेश के ज्योतिष यासिर अराफात मेंहदी उपस्थित रहे. भारत के विभिन्न राज्यों से आये ज्योतिषियों का मंच पर स्वागत किया गया. इसके बाद दिल्ली से आए भारत भूषण भारद्वाज की ओर से उनका लिखा पुस्तक “दैवज्ञ शनि” का विमोचन किया गया तथा पुस्तकों को उनके द्वारा विभिन्न ज्योतिषियों को भेंट किया गया.
उसके बाद दिन के प्रथम सत्र मेडिकल एस्ट्रोलॉजी में देश विदेश से आए ज्योतिर्विदों ने अपना ज्ञान साझा करते हुए महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रकाश डाला कि किस प्रकार से कुंडलियों के एवं हस्तरेखा के विश्लेषण से रोगों पर प्रकाश डालकर उसका सफल निदान किया जा सकता है. इस सत्र में बांग्लादेश से आये एस्ट्रोलॉजर यासर अराफात ने विभिन्न रासायनिक तत्वों का हाथ के संबंधों से उत्पन्न होने वाली बीमारियों पर प्रकाश डाला. संस्थान के प्रोफेसर अभिजीत चक्रवर्ती ने कुंडली में बीमारी की पहचान कैसे की जाए इस बातों पर विशेष प्रकाश डालते हुए कहा की कुंडली का जो रोग भाव होता है उसके ऊपर शुभ अशुभ ग्रहों की दृष्टि संबंध पर विशेष ध्यान देने से हमें बीमारियों का पता चलता है. इसके बाद कैसर संस्थापक प्रोफेसर एस के शास्त्री ने मेडिकल एस्ट्रालोजी ट्रांसक्रिप्शन पर विशेष प्रकाश डालते हुए कहा कि किस प्रकार से रोगी को सटीक चिकित्सा हेतु यह टेक्नोलॉजी काम करता है जिसके तहत डॉक्टर और मरीज की कुंडली का मिलान कर मरीज को चिकित्सा का लाभ दिया जाता है. इसके साथ ही उन्होंने हाथ देखने की मौलिक एवं वैज्ञानिक नियमों का विश्लेषण किया. रामगढ़ से आए प्रोफेसर यशवंत कुमार सिंह ने हाथों से बीमारियों की पहचान पर विशेष प्रकाश डाला. साथ ही उन्होंने बताया कि यदि हाथ में मंगल खराब हो तो इससे कई बीमारियों का निर्धारण होता है. डॉ राजेश भारती ने भी इस विषय पर विशेष प्रकाश डालते हुए कुंडली के बाधित भावों से बीमारियों के सूत्र के बारे में बताया. सत्र की अध्यक्षता कर रहे डॉ एन कुमार ने मेडिकल एस्ट्रोलॉजी की व्यापकता पर प्रकाश डालते हुए इसकी असीम संभावनाओं पर विशेष प्रकाश डाला. (नीचे भी पढ़ें)
दिन के दूसरे सत्र में प्रेडिक्टिव अस्ट्रालोजी पर देश विदेश से आए विद्वानों, ज्योतिष अभिलाषा, महात्मा पांडे, श्री भास्कर, कौशल किशोर जोशी, ज्योतिष धनराज, एवं अन्य ने अपना शोध एवं ज्ञान साझा किए सत्र की अध्यक्षता करते हुए डॉ सुरेश कुमार झा ने सभी वक्ताओं द्वारा साझा किए गए. वक्तव्यों का विश्लेषण करते हुए बताए की ज्योतिषी बहुत बड़े समाज सुधारक है, अतः इस विषय का गहनता से अध्ययन कर, विशेषकर ज्योतिष की कई शाखाओं मे से किसी भी विशेष एकाधिक शाखाओँ मे अति विशिष्टता हासिल कर पाएं तो वे समाज का और भी अधिक भला तो कर सकते हैं. साथ ही उन्हे उनके विशिष्टताओं से जुड़े व्यवसायिक संस्थाओ मे विशिष्ट पहचान के साथ साथ स्थायी रोजगार का संभावना मिल सकता है इसके साथ ही उन्होंने मेडिकल की तरह ही जोतिषियों को भी विशिष्ट ज्योतिषियों को रेफर की जाने के प्रचलन बढ़ाने पर बल दिया. सत्र के अंत में पूर्व से पंजीकृत सैकड़ों स्थानीय आम जनों ने 5 बजे से रात्री 10 बजे तक होने वाले निशुल्क ज्योतिष परामर्श देश विदेश से आए ज्योतिषियों से परामर्श पाकर लाभ उठाया.