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Home » JAMSHEDPUR : भूमिज समाज को ढाई दशक से एकसूत्र में बांध रहे असित सिंह सरदार

JAMSHEDPUR : भूमिज समाज को ढाई दशक से एकसूत्र में बांध रहे असित सिंह सरदार

कॉलेज से शिक्षा प्राप्त कर लौटने के बाद गांव में बिजली बाधित थी. बिजली बिल जमा नहीं करने के कारण बिजली काट दी गई थी. उसके बाद 75 फीसदी बिल जमा करवाने पर बिजली गांव में आ गई. बड़ाजुड़ी मौजा के सुनसान स्थान पर आए दिन छिनतई की घटनाएं होती थी. वहां पर मां काली मंदिर का निर्माण कराया गया. आज वहां पर भव्य मेला का आयोजन होता है. मंदिर परिसर में ग्रामीणों की ओर से एकासिया पेड़ का संरक्षण किया जाता है. गांव के किसी भी जाति समुदाय का निधन होने पर मंदिर परिसर स एकासिया पेड़ से ही दाह-संस्कार किया जाता है. बड़ाजुड़ी गांव का रहीन मेला व चड़क पूजा में बढ़-चढ़कर योगदान देते हैं.

August 24, 2024
in जमशेदपुर, झारखण्ड, विशेष, समाज
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घाटशिला बड़ाजुड़ी निवासी असित सिंह सरदार.

घाटशिला बड़ाजुड़ी निवासी असित सिंह सरदार.

ASHOK KUMAR

जमशेदपुर : घाटशिला बड़ाजुड़ी के रहने वाले असित सरदार के पिता स्व. हरिपदो सिंह 1952 में पोटका विधानसभा के विधायक थे. ऐसे में असित सिंह सरदार का झुकाव भी राजनीति की तरफ हुआ था, लेकिन अंत में उन्होंने अपने समाज को ही चुना और पिछले ढाई दशक से भूमिज समाज को एकसूत्र में पिरो रहे है. ये समाज को समाज की तरह देखना पसंद करते हैं ना कि एक समिति की तरह. समाज को संगठित करने के लिए उन्होंने चार विषयों को चुना है. पहला शिक्षा सर्वोपरी है.

2004 में सामाजिक सम्मेलन की तस्वीर- मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा के दोनों पौत्र, असित सरदार, मरांग गोमके जयपाल सिंह का बेटा जयंत जयपाल सिंह, स्व. पूर्व विधायक हाड़ीराम सरदार, स्व. हरिपद सिंह प्रथम विधायक, स्व. सनातन सरदार.

दूसरा समाज को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में पहल करने, तीसरा समाज को अनुसाशित करने और चौथा समाज को एक व्यवस्थित रूप देने का प्रयास करना. इन विषयों को केंद्रीत करते हुए समाज के सक्रिय और सजग युवाओं को लेकर एक आधार बनाते हुए कार्य शुरू किया है. उनका उद्देश्य है कि समाज चार विषयों पर ध्यान केंद्रीत कर कार्य शुरू करे. इसके लिए उन्होंने आदिवासी भूमिज मुंडा महाल समिति भी बनाई है. आज उनकी पकड़ सिर्फ झारखंड में ही नहीं बल्कि ओडिशा, बंगाल और असाम में भी है.

25 अप्रैल 2001- वीर शहीद गंगा नारायण सिंह की जयंती समारोह में सामाजिक एकता रैली में साकची बारी मैदान की तस्वीर.

इसे भी पढ़ें : इस ट्रेन में बिना टिकट करें रेल यात्रा, जानिए कैसे हो रहा है विरासत बचाने की कोशिश

शहीद रघुनाथ सिंह का अपमान पर भड़के 

अपने 100 युवाओं को एकत्रित कर जुबली पार्क में जवाब देने के लिए समाज के युवाओं को एकजूट होने का आह्वान किया था. वहीं से रणनीति बनाकर जमशेदपुर के साकची आम बागान में आम सभा और महारैली का आयोजन किया गया था. इसका पूरा श्रेय असित सिंह सरदार और उनके युवाओं को जाता है. अंत में इसको लेकर आदिवासी भूमिज मुंडा चुआड़ सेना की ओर से 2024 में झारखंड हाईकोर्ट में केस भी किया गया. मामले में झारखंड के कई महतो नेताओं को पार्टी भी बनाया गया है.

2017 में चुआड़ विद्रोह के महानायक वीर शहीद रघुनाथ सिंह के सम्मान में लौहनगरी जमशेदपुर में निकली रैली.

रैली निकाल किया गया था विरोध

जमशेदपुर के पूर्व सांसद शैलेंद्र महतो के द्वारा फर्जी रघुनाथ महतो बनाकर भूमिज समाज के चुआड़ विद्रोह का नेता रघुनाथ महतो बनाने का षडयंत्र रचा गया था. इसका विरोध आम सभा और रैली के माध्यम से किया गया था. इसका एक लिखित प्रतिवेदन राज्यपाल, सीएम और सिंहभूम के डीसी को भी सौंपा गया था. विषय था काल्पनिक रघुनाथ महतो का उल्लेख एमपी शैलेंद्र महतो ने दो पुस्तकों में किया है. इसका समाज के द्वारा विरोध किया गया. इसका विरोध 2006 में ही शुरू किया गया था. 2015 में तो रांची के नामकुम में मूर्ति भी लगाने की योजना थी, लेकिन विरोध के बाद इसका उद्घाटन नहीं हुआ. रैली के माध्यम से यह बताने का प्रयास किया गया था कि शहीद का अपमान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

2010 में बहरागोड़ा भूमिज समाज की ओर से चुआड़ विद्रोह के महानायक वीर गंगा नारायण सिंह की मूर्ति का अनावरण समारोह.

 25 सालों से समाज में ही सक्रिय

असित सिंह सरदार पिछले 25 सालों से समाज में सक्रिय हैं. इस दौरान उनका दौरा झारखंड के अलावा पुरुलिया. बांकुड़ा, मिदनापुर, क्योंझर, मयूरभंज, रसूनगढ़, असाम में भी हो चुका है. कोल्हान में तो उनकी अच्छी पकड़ है. सिंहभूम में तो वे एक-एक घरों में जाकर लोगों को एकसूत्र में बांधने का काम कर चुके हैं.

वर्ष 2009 में पोटका प्रखंड के ग्राम पिछली में भूमिज समाज की विशेष बैठक.

राजनीतिक गतिविधियां एक नजर में

असित सिंह सरदार का जन्म 1968 में हुआ था. 2002 में उन्होंने कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की थी. तब झारखंड के प्रभारी इमरान किदवई हुआ करते थे. उन्हें पार्टी में पूर्व कांग्रेस के जिला अध्यक्ष रामाश्रय प्रसाद, पूर्व विधायक एसआर रिजवी छब्बन ने ज्वाइन कराया था. तब उन्हें पोटका का प्रखंड उपाध्यक्ष का पद दिया गया था.

15 नवंबर 2004 में हाता चौक पर बिरसा भगवान की मूर्ति पर माल्यार्पण समारोह.

2004 में टीएमसी से लड़े थे चुनाव

असित सिंह सरदार 2004 में पोटका विधानसभा सीट पर टीएमसी से चुनाव लड़े थे. गठबंधन के कारण कांग्रेस से टिकट नहीं दिया गया था. कांग्रेस-झामुमो गबंधन के कारण झामुमो को टिकट दिया गया था. इस कारण से टीएमसी में गए थे. इसके बाद 2005 में जदयू का दामने थामा था. पांच माह ही जदयू में रहे और उन्हें ग्रामीण जिला अध्यक्ष का पद दिया गया था. पांच माह बाद ही भाजपा की सरकार गिर गई थी. उसके बाद मधु कोड़ा की सरकार का गठन हुआ था.

25 अप्रैल 2017 को सोनारी में दोमुहानी के पास वीर शहीद गंगा नारायण सिंह की मूर्ति अनावरण समारोह.

2006 में थामा था भाजपा का दामन

असित सिंह सरदार ने 2006 में भाजपा का दामन पूर्व सीएम अर्जुन मुंडा के कारण मुसाबनी टाऊन हॉल में थामा था. कहा गया था कि 2009 में उन्हें टिकट दिया जाएगा, लेकिन तब सूर्य सिंह बेसरा को और 2014 में लक्ष्मण टुडू को दे दिया गया था. अंत में 2019 में उन्होंने एमपी चुनाव निर्दलीय लड़े थे. अब भूमिज समाज के बदौलत खुद का बेहतर साबित करने में लगे हुए हैं.

इसे भी पढ़ें : JHAMSHEDPUR :  टाटानगर स्टेशन गोलचक्कर टीओपी के सामने किसकी शह पर हो रहा अतिक्रमण, रेलवे एईएन से मिला प्रतिनिधिमंडल

Tags: Asit Singh SardarBhumij SamajEksutraJamshedpur newsTwo and a half decadeअसित सिंह सरदारएकसूत्रजमशेदपुर समाचारढाई दशकभूमिज समाज

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