बालासोर : रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने रविवार को यह साफ कर दिया है कि बालासोर ट्रेन हादसा इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम में बदलाव के कारण हुआ है. इसके लिये जो जिम्मेवार हैं उनका भी पता लगा लिया गया है. उनके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी. इसके पहले रेलवे ट्रैक को ठीक करने और ट्रेनों का परिचालन सामान्य कराने का काम किया जा रहा है.
एक समय था जब रेलवे ट्रैक को केबिन के माध्यम से ऑपरेट किया जाता था. आजादी के बाद रूट रिले केंद्र के सहयोग से ट्रेनों का परिचालन किया जाता था. दो दशक पहले नॉन इंटरलॉकिंग सिस्टम का प्रयोग किया जाने लगा था. इधर कुछ सालों से इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम का प्रयाग किया जा रहा है. जब इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम को लगाया गया था तब उसमें ही कुछ गड़बड़ी आ गयी थी. ठीक से सेटिंग नहीं हो पायी थी.
माइक्रोप्रोफेसर आधारित है इंटरलॉकिंग सिस्टम
इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम के बारे में जानकारों का कहना है कि यह माइक्रोप्रोफेसर आधारित इंटरलॉकिंग सिस्टम है. इस सिस्टम से पैनल इनपुट और यार्ड की गितिविधियों को पढ़ने का काम किया जाता है. इससे ट्रेनों के परिचालन की जानकारी मिलती है. इसका मुख्य कारण यह है अगर कोई ट्रेन एक ही ट्रैक पर सामने से आ रही है तो उसकी जानकारी इस सिस्टम से पहले ही मिल जाती है और ट्रेन को लाल झंडी दिखाकर पहले ही रोकने का आदेश दे दिया जाता है.
288 से ज्यादा यात्रियों की गयी है जानें
बालासोर ट्रेन हादसे में पिछले तीन दिनों के अंतराल में 288 से भी ज्यादा यात्रियों की जानें चली गयी है. घटना के बाद पूरा रेल महकमा लगा हुआ है. सभी रेल मंडल से रेल कर्मचारियों और अधिकारियों को राहत कार्य के साथ बुलाया गया है. घटनास्थल पर युद्ध स्तर पर काम कराया जा रहा है. हर हाल में बुधवार से ट्रेनों का परिचालन शुरू कराने की योजना है. रेलवे की ओर से ट्रैक मेंटेनेंस का काम पूरा कर लिया गया है. अब सिर्फ इलेक्ट्रिफिकेशन का ही काम बाकी रह गया है.