भोपाल, : “इतिहास के पन्ने बताते हैं कि विश्व के लिए भारत सभ्यता की रीढ़ रहा है। जबकि गुलामी का विभस्त काल शुरू होने से पूर्व भारत राजनीतिक रूप से भले उतना सुदृढ़ नहीं था लेकिन आर्थिक व शैक्षिक रूप से हमारा देश काफी समृद्ध था, और खासकर शैक्षणिक दृष्टि से इसे मजबूत बनाने में गुरुकुल शिक्षा पद्धति की प्रमुख भूमिका रही थी, जिसे बहुत संगठित तरीके से भारत की आत्मा से अलग कर दिया गया। वर्तमान परिदृश्य में शिक्षा एक व्यवसाय बन गया है, और विद्या मंदिर कहे जाने वाले स्कूल कॉर्पोरेट ऑफिसेज में तब्दील हो चुके हैं।” ये कहना है मध्य प्रदेश के देवास में स्थित सरदाना इंटरनेशनल स्कूल के फाउंडर और अध्यापक ललित सरदाना का, जो पिछले 26 वर्षों से खासकर इंजीनियरिंग, मेडिकल जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं में सर्वश्रेष्ठ परिणामों के लिए जाने जाते हैं।
भोपाल में आयोजित हुई एक प्रेस वार्ता के दौरान पत्रकारों से बातचीत करते हुए, ऑल इंडिया 243वीं रैंक होल्डर, और फिजिक्स, कैमिस्ट्री, मैथ्स जैसे महत्वपूर्ण सब्जेक्ट्स की तैयारी खुद ही कराने वाले आईआईटी दिल्ली से पासआउट, सरदाना सर ने भारत के एजुकेशन सिस्टम में कुछ जरुरी बदलावों पर प्रमुख जोर दिया है। सरदाना सर के मार्गदर्शन में सरदाना इंटरनेशनल स्कूल, स्पोर्ट्स में भी छात्रों को अधिक से अधिक बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है। परिणाम स्वरुप सरदाना स्कूल के बच्चे पढ़ाई में आशातीत परिणाम के साथ-साथ स्पोर्ट्स में भी अव्वल बने हुए हैं। इतना ही नहीं आर्थिक रूप से कमजोर विद्यार्थियों के लिए भी विशेष सुविधाओं पर ध्यान दिया जा रहा है, ताकि बच्चों की शिक्षा और व्यक्तित्व निखार में, आर्थिक पक्ष रोड़ा न बने।
उन्होंने कहा, “किसी भी व्यक्ति या व्यक्तित्व की इमारत संस्कारों पर ही टिकी होती है। इसे ध्यान में रखते हुए सारदाना इंटरनेशनल स्कूल, बच्चों में संस्कार के रास्ते शैक्षणिक व्यवस्था से जोड़ने पर आधारित है। जहां सनातन धर्म की खोई हुई परम्पराओं को पुनः जाग्रत करने के लिए बच्चों और युवाओं को भारत की मूल संस्कृति, शिक्षा और सभ्यता से जोड़कर, प्रतियोगी विश्व के काबिल बनाने का प्रयास किया जा रहा है। जिसमें खेल से जुडी गतिविधियां भी शामिल हैं”
सुबह 4 बजे उठने से लेकर योग, प्राणायाम व ध्यान के साथ अपने दिन की शुरुआत करने वाले, देश के विभिन्न शहरों से सरदाना इंटरनेशनल स्कूल में पढ़ने पहुंचने वाले बच्चे, प्रतियोगी परीक्षाओं में बेहतर परिणाम के मामले में किसी से पीछे नहीं हैं। यहां तक कि विभिन्न स्पोर्ट्स में भी यह बच्चे सर्वश्रेष्ठ परिणाम देने के साक्षी बने हैं। पढ़ाई हो या खेल, बच्चों के बेहतर परिणाम में अनुशासन को मुख्य वजह बताते हुए सरदाना सर कहते हैं कि “हम सभी में संघर्ष करने से शक्ति का जन्म होता है, और इस शक्ति का सही उपयोग अनुशाषित जीवनशैली को अपनाकर ही सही ढंग से किया जा सकता है। इसलिए विद्यार्थी भले वह बेसिल लेवल से लेकर उच्च शैक्षणिक स्तर पर क्यों न हों, संस्कृति, शिक्षा से जुड़े अनुशासन का पालन करके सफलता की हर सीढ़ी आसानी से चढ़ सकते हैं।”
सरदाना इंटरनेशनल स्कूल में एडमिशन लेने वाले बच्चों के पैरेंट्स के लिए यह स्कूल किसी गुरुकुल की तरह है। मोबाइल और टेलीविजन का पूर्ण प्रतिबन्ध, इस स्कूल की कई यूनिक विशेषताओं में एक है। इसे किसी बंदिश का स्वरुप न देकर डिस्ट्रक्शन के माध्यमों में शामिल किया गया है, जो कुछ नया सिखाने से अधिक, ध्यान भटकाने के अधिक काम आते हैं। इसके अतिरिक्त यह स्कूल बच्चों के मनोरंजन के लिए स्पोर्ट्स, म्यूजिक, डांस, योग, मेडिटेशन और मोटिवेशनल सेमिनार जैसे साधनों का इस्तेमाल करता है। ऐसे कुछ अन्य प्रमुख करक हैं, जो न केवल मध्य प्रदेश बल्कि देशभर से पैरेंट्स को अपने बच्चों के एडमिशन के लिए आकर्षित करते हैं।
एडमिशन के बाद, स्कूल उठाता है बच्चों के सर्वांगीण विकास की जिम्मेदारी
मीडिया के प्रश्नों का उत्तर देते हुए, सरदाना सर ने कहा कि, हम पैरेंट्स को स्कूल से सम्बंधित सभी नियम कायदे पहले ही समझा देते हैं, एजुकेशनल स्ट्रक्चर से लेकर स्कूल के रहन सहन व वातावरण के प्रति पूर्ण संतुष्टि के बाद ही हम किसी छात्र को एडमिशन देते हैं, ताकि उनके सर्वांगीण विकास को एक मजबूत नींव दी जा सके। जबकि आर्थिक रूप से कमजोर लेकिन मानसिक रूप से सक्षम विद्यार्थियों के लिए विशेष सुविधाएं भी दे रहे हैं।