Home » द्वारिका-शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती महाराज का बड़ा बयान, कहा-भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित किया जाए, सरकारी नियंत्रण से मुक्त हों देश के सभी मंदिर
द्वारिका-शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती महाराज का बड़ा बयान, कहा-भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित किया जाए, सरकारी नियंत्रण से मुक्त हों देश के सभी मंदिर
West Singhbhum : द्वारिका-शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती महाराज ने भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करने की वकालत की है. इसके साथ ही देश के सभी मंदिरों से सरकारी नियंत्रण हटाए जाने की भी मांग की है. गुरुवार को जिले के गोईलकेरा प्रखंड स्थित समीज-पारलीपोस स्थित विश्व कल्याण आश्रम में अपने प्रवास के दौरान पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने यह बातें उन्होंने कही है. उन्होंने कहा कि भारत को विश्वगुरु बनाने का संकल्प सभी भारतवासी का होना चाहिए.
आर्टिकल 30 व 30 ए को हटाने की मांग
शंकराचार्य ने देश के सभी मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने की मांग सरकार से की है. उन्होंने आर्टिकल 30 और 30 ए को भी हटाने की मांग की है. क्योंकि ये शिक्षा के केंद्रों में हिंदू बालकों को धार्मिक शिक्षा प्रदान करने से रोकते हैं. काशी के ज्ञानवापी और मथुरा के मंदिर-मस्जिद मसले के सवाल पर शंकराचार्य ने कहा कि अयोध्या राम मंदिर की तरह हमारे पास इनके भी शास्त्रीय प्रमाण हैं. दोनों जगहों पर मौजूद साक्ष्य हिंदू शिल्प और वास्तुकला से परिपूर्ण हैं. ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वानंद द्वारा गाय को राष्ट्र माता घोषित करने को लेकर चलाए जा रहे आंदोलन का समर्थन करते हुए उन्होंने कहा कि इसके लिए चारों पीठों के शंकराचार्य एकमत हैं. जरूरत पड़ी तो वे भी आंदोलन में साथ आने से पीछे नहीं हटेंगे. उन्होंने कहा कि किसी के भी हिंदू होने का पहला लक्षण है गाय की सेवा करना, जो हिंदू हैं वे निश्चित रूप से गौ पूजक होंगे. वहीं, होली को लेकर उपजे संशय के सवाल पर उन्होंने कहा कि 24 मार्च को होलिका दहन जरूर है. परंतु ग्रह-नक्षत्रों की दशा की वजह से अगले दिन प्रतिपदा और पूर्णिमा नहीं है. अतः लोग 26 को होलिकोत्सव मनाएं. (नीचे भी पढ़ें)
नकली शंकराचार्यों से रहें सावधान
शंकराचार्य सदानंद सरस्वती महाराज ने देश के हिंदुओं से नकली शंकराचार्यों से सावधान रहने की अपील करते हुए कहा कि ऐसे लोग सनातन धर्म को क्षति पहुंचा रहे हैं. अगर कोई किसी धर्मस्थान का प्रमुख है तो यह देखने की बात होती है कि उस धर्म स्थान में किसी परंपरा का निर्वहन हो रहा है या नहीं. ट्रस्ट व महंत की गद्दी होगी या आखाड़ा की परंपरा होनी चाहिए. हमारे यहां गुरु-शिष्य की परंपरा है। जो पहला शिष्य होता है, वही शंकराचार्य की उपाधि पाता है.
वामपंथी सोंच वाले शंकराचार्य हिंदू धर्म के विरुद्ध षड़यंत्र कर रहे हैं. उन्होंने अधोक्षानंद को लेकर कहा कि वे वास्तव में पुरी के शंकराचार्य नहीं हैं. पुरी के वास्तविक शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती हैं. शंकराचार्य ने भारत के प्रधानमंत्री मोदी के बारे में कहा कि धर्म के प्रति उनकी व्यक्तिगत रुचि है. वह मंदिरों में जाकर दर्शन करते हैं व गंगा, नर्मदा में स्नान करते हैं. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को संविधान के अनुरूप ही काम करना होता है.