जमशेदपुर।
कोल्हान के सिखों की सिरमौर धार्मिक जनरल बार्डी सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान पद को लेकर होने वाले चुनाव से पूर्व मंगलवार को पांच सदस्यीय चुनाव कमेटी ने चारों उम्मीदवारों को आपसी एका बनाने का मौका दिया. इसे लेकर साकची स्थित सीजीपीसी के दफ्तर में चारों उम्मीदवार क्रमशः भगवान सिंह, हरविंदर सिंह मंटू, हरमिंदर सिंह मिंदी और भगवान सिंह बोझा को बंद कमरे में आपसी समझौता के लिए छोड़ दिया गया. करीब पौने दो घंटे (4.45 से 6.30 बजे) तक चली मैराथन बैठक में भगवान सिंह को समर्थन देने का दो उम्मीदवारों ने अपना रुख दिखाया, लेकिन सीजीपीसी के पूर्व प्रधान गुरमुख सिंह मुखे टीम के वरीय उपाध्यक्ष महेंद्र सिंह बोझा चुनाव को लेकर अड़ गए. जिसे लेकर भगवान सिंह के नाम पर मोहर लगते लगते बच गई.
बैठक के बाद पांच सदस्यीय संचालन समिति के सदस्य नरेंद्रपाल सिंह भाटिया, गुरदयाल सिंह, दलजीत सिंह दल्ली, अमरजीत सिंह व तारा सिंह गिल ने सभी उम्मीदवारों की बातों को सुना और आपसी सहमति बनाने के लिए सभी को फिर एक मौका दिया, जिसके तहत गुरुवार को दोबारा एक बैठक रखने का फैसला लिया. इधर, बैठक के दौरान भगवान सिंह समर्थकों के साथ पहुंचे थे, जो सीजीपीसी परिसर में रहे. धीरे-धीरे दूसरे उम्मीदवारों के समर्थक भी जुटने लगे. बताया जाता है कि इससे पूर्व नीलडीह स्थित ट्यूब मेकर्स क्लब में भी चुनाव में समझौते को लेकर उम्मीदवारों ने बैठक की थी. वहीं भगवान सिंह को समर्थन देने का फैसला ले लिया गया था. नामांकन के दौरान ही मिंदी का समर्थन भगवान सिंह को दिख गया था. बहरहाल, अब गुरुवार के समझौते पर सिख समाज की नजरें टिक गई हैं.
कुछ लोगों का अड़ियल रवैय्या सर्वसम्मति नही होने दे रहा: भगवान
इधर, बैठक से निकलने के बाद उम्मीदवार सरदार भगवान सिंह ने कहा है कि पांच-सदस्यीय कमेटी नामांकन प्रपत्र का स्क्रुटनी कर चुनाव की तिथि शीघ्र घोषित करें. मंगलवार को उन्होंने बयान जारी करते हुए कहा कि कौम की एकता एवं पंथ के उत्थान के लिए उन्होंने पांच मेंबरी कमेटी की पहल का स्वागत किया और खुले मन के साथ वे अन्य उम्मीदवार सरदार महेंद्र सिंह, सरदार हरविंदर सिंह मंटू और सरदार हरमिंदर सिंह मिन्दी के साथ बैठ कर सर्वसम्मति से चुनाव पर विचार विमर्श किया.
पंथिक एकता को ध्यान में रखते हुए हरविंदर सिंह मंटु और हरमिंदर सिंह मिन्दी ने सर्वसम्मति का खुले दिल से स्वागत किया, परंतु चौथे उम्मीदवार सरदार महेंद्र सिंह का रवैया काफी अड़ियल रहा और ऐसा लग रहा था कि वे किसी के प्रभाव में है और सकारात्मक फैसला नही ले पा रहे हैं। महेन्द्र सिंह बार-बार यही तर्क देते रहे कि वे चुनाव हर कीमत पर लड़ेंगे और किसी प्रकार का समझौता नहीं चाहते हैं. भगवान सिंह के अनुसार अड़ियल रवैया से कौम का भला होने वाला नहीं है और ऐसे में वह भी चुनाव मैदान में जाने को मजबूर हैं, क्योंकि चुनाव ही अंतिम विकल्प बचा है.