जमशेदपुर।
कोल्हान के सिखों के सिरमौर धार्मिक संस्था सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (सीजीपीसी) के प्रधान पद को लेकर होने वाले चुनाव की गुरुवार से उथल पुथल बढ़ गई है. चुनाव संचालन समिति ने 8 जनवरी को चुनाव कराने का फैसला कर लिया है. इस दिन सुबह 10 से अपराह्न तीन बजे तक साकची स्थित सीजीपीसी कार्यालय में वोटिंग होगी. बैलेट पेपर छपने के लिए आर्डर किया जा चुका है. संचालन समिति के आदेश के अनुसार 191 मतदाता की सूची को फाइनल किया जा चुका है. टिनप्लेट, सोनारी व सीतारामडेरा में चुनाव नहीं होने के कारण उन्हें वोट देने से वंचित कर दिया गया है. इधर, चुनाव की घोषणा होने के बाद ही सिख समाज में सरगर्मी बढ़ गई है. अन्य तीनों उम्मीदवारों ने चुनाव का बहिष्कार किया है. मंटू ने कहा कि उन्हें न वोटर लिस्ट दी गई, न चुनाव चिह्न, ऐसे में अचानक चुनाव की घोषणा कर दी गई. चुनाव समिति भगवान सिंह के पक्ष में काम कर रही है. शुक्रवार को उन्होंने भी एसडीओ के पास जाने की बात कही. वहीं, महेंद्र सिंह व हरमिंदर सिंह मिंदी समर्थकों के साथ एसडीओ दरबार पहुंचे और अपना पक्ष रख दिया है. सोनारी के प्रधान तारा सिंह गिल भी वोट से वंचित रखे जाने को लेकर एसडीओ से शिकायत करने पहुंचे थे.
संचालन समिति की मनमानी के खिलाफ न्यायलय जाएंगेः मिंदी
आज रिफ्यूजी कॉलोनी गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान और सीजीपीसी में प्रधान पद के प्रत्याशी हरमिंदर सिहं मिंदी ने 8 जनवरी को होने वाले सीजीपीसी चुनाव का बहिष्कार किया है. उन्होने संचालन समिति पर खुलकर पक्षपात का आरोप लगाते हुए कहा कि 5 सदस्यीय समिति खुलकर भगवान सिहं के समर्थन में काम कर रही है. उन्हें भगवान सिंह के पक्ष में काम करने के लिए रोज नये-नये हथकंडे सिखाए जा रहे हैं कभी मीडिया में कोरी अफवाहें छपवाते हैं तो कभी गलत बयानबाजियाँ वायरल करवाई जाती हैं.रोजाना शह मात की एक नयी गाथा लिखकर समाज की मर्यादा को तार-तार किया जा रहा है.वे बोले हमारे समाज में संगत गुरू का रूप है और अगर संगत की भावना से खिलवाड़ होगा तो गुरूओं का प्रकोप भी आपको सहना पड़ेगा, जो गलतियां कर रहे हैं वे सजा भी भोग रहें हैं.
मिंदी ने खुलकर कहा है कि अब हमें न्यायालय जाने पर मजबूर किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि सीजीपीसी सिखों की एक संवैधानिक संस्था है और इसके संविधान से छेड़छाड़ कर मनमानी को हम स्वीकार कभी नहीं करेंगे. आज तक समाज में न तो किसी गुरुद्वारे में और न ही सीजीपीसी में कभी भी दो प्रधान बनाए गए और न ही सीजीपीसी के संविधान में इसे लेकर कोई प्रावधान ही रखा गया है न ही कभी कोई ऐसा नया प्रावधान सर्वसम्मति से लाया गया है. ये सभी कोरी अफवाहें फैलाकार समाज को केवल गुमराह किया जा रहा है ताकि हर हाल में भगवान सिंह को प्रधानगी दे दी जाए.
मिंदी ने कहा कि मैं पूरी तरह से संचालन समिति का बहिष्कार करते हुए न्यायालय की शरण में जाने की तैयारी शुरू कर चुका हूं, क्योंकि संचालन समिति में बार-बार लिखित शिकायत करने के बावजूद हमारी किसी बात को तरजीह नहीं दी जा रही है. अब न्यायालय का जो भी फैसला होगा वही मंजूर होगा. सीजीपीसी का चुनाव एकतरफा फैसला लेने वाली संचालन समिति को रद्द कर नये तरीके से संवैधानिक तौर पर न्यायालय की देखरेख में हो इसके लिए जल्द ही गुहार लगाने का प्रयास करूंगा.
अपनी हार देख बौखला गए हैं मिंदी: भगवान, जो 80 साल में नहीं हुआ वह अब कैसे होगा
वहीं, उम्मीदवार सरदार भगवान सिंह ने कहा कि उम्मीदवार हरमिंदर सिंह मिंदी अपनी हार देखकर बौखला गए हैं। उन्हें मालूम है कोल्हान का एक भी गुरुद्वारा की पूरी कमेटी उनके साथ नहीं है. उन्हें यह भी मालूम है कि वह दो अंक का आंकड़ा भी नहीं छू पाएंगे, इसलिए संगत को गुमराह करते हुए पांच सदस्यीय चुनाव समिति पर अनर्गल आरोप लगा रहे हैं. मिंदी सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का संविधान एवं पूर्व में हुए चुनावों का इतिहास पढ़ लें तो बेवकूफी भरा बयान कभी नहीं देंगे. जो पिछले 80 साल में नहीं हुआ वह अब कैसे संभव है.सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का संविधान 1943 में बना है और जिन स्थानीय गुरुद्वारा कमेटियों का चुनाव प्रक्रिया संपन्न नहीं होता था. उन्हें कभी भी सेंट्रल कमेटी के प्रधान पद के चुनाव में भागीदारी नहीं दी गई. हरमिंदर सिंह पिछले चुनाव को याद करें जब गौरी शंकर रोड जुगसलाई गुरुद्वारा कमेटी, जेम्को गुरुद्वारा कमेटी और बिष्टुपुर गुरुद्वारा कमेटी को मतदान का अधिकार नहीं मिला था. तब हरमिंदर सिंह ने उनकी आवाज क्यों नहीं उठाई थी? हरमिंदर सिंह हर चीज में अपना फायदा तलाश रहे हैं? हरमिंदर सिंह मिंदी पंथ एवं कौम का भला और चढ़दी कला के बारे में सोचे और चुनाव में हिस्सा लें. वह गलत तर्क और बयान दे रहे हैं. यदि आज सोनारी, टीनप्लेट एवं सीतारामडेरा गुरुद्वारा कमेटी को वोटिंग का अधिकार दे दिया जाए तो फिर तो कभी भी स्थानीय गुरुद्वारा कमेटियों के चुनाव नहीं होंगे. हरमिंदर सिंह वाहेगुरु का नाम लेकर एवं दिल में हाथ रख कर बोलें क्या सोनारी, टीनप्लेट और सीतारामडेरा में सब कुछ सही है. वास्तव में सरदार हरमिंदर सिंह पद लिप्सा में इतने गिर गए हैं कि भले- बुरे, सच-झूठ और सही-गलत का अंतर भी नहीं समझ पा रहे हैं. जब वे इस स्तर पर पहुंच गए हैं तो ऐसे व्यक्ति से कौम का भला कैसे हो सकता है. उन्होंने हरमिंदर सिंह एवं अन्य उम्मीदवारों से अनुरोध किया की 8 तारीख को होने वाले सीजीपीसी के चुनाव में मैं मर्दों की तरह चुनाव लड़े. चुनाव में हार जीत तो होती ही है उसे संगत का आशीर्वाद समझें.