JHARKHAND NEWS : सरायकेला-खरसावां जिले के राजनगर जिलिंगगोड़ा गांव के रहनेवाले झारखंड सरकार के परिवहन मंत्री चंपाई सोरेन को वर्ष 2008 में भी सीएम बनाने की योजना थी. सीएम बनाने की घोषणा किए जाने के बाद तब भी उनके गांव जिलिंगगोड़ा में जश्न का माहौल था. ढोल-नगाड़े और ताशे बज रहे थे, लेकिन तब उन्हें मौका नहीं मिला था. अब 16 सालों के बाद चंपाई सोरेन को फिर से मौका मिलने वाला है.
चंपाई सोरेन की बात करें तो वे झारखंड टाइगर के नाम से भी जाने जाते हैं. खासकर कोल्हान के झामुमो समर्थक उन्हें इसी नाम से बुलाते हैं.
कोल्हान में है अच्छी पकड़
चंपाई सोरेन की पूरे कोल्हान में अच्छी पकड़ है. झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन के बाद पार्टी में चंपाई सोरेन का ही नाम आता है, लेकिन अब उनकी तरफ आलाकमान का ध्यान गया है.
राजनीति में उतरने के बाद सिर्फ एक बार हारे
चंपाई सोरेन जब से राजनीति में उतरे हैं, तब से विधानसभा चुनाव में उन्हें वर्ष 2000 में एक बार ही हार का मुंह देखना पड़ा है. तब अनंतराम टुडू ने उन्हें हराया था. उसके बाद से लेकर अबतक उन्होंने जीत का ही परचम लहराया है.
1991 में लड़ा था पहली बार चुनाव
चंपाई सोरेन ने 1991 में पहली बार निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में विधानसभा चुनाव लड़ा था और जीत हुई थी. तब उन्होंने पूर्व सांसद कृष्णा मार्डी की पत्नी मोती मार्डी को हराया था. सिर्फ एक बार छोड़कर वर्ष 2019 तक वे जीतते रहे हैं. उन्हें पार्टी में कार्यकारी अध्यक्ष और महासचिव का भी पद पूर्व में दिया गया था.
चार बेटा और 3 बेटियां हैं
चंपाई सोरेन की बात करें तो उनका चार बेटा और 3 बेटियां हैं. उन्होंने खुद 10वीं तक की पढ़ाई सरकारी स्कूल से की है. उनका एक बेटा बाबूलाल सोरेन राजनीति में पूरी तरह से सक्रिय हैं और उन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई है. बड़ा बेटा वकील सोरेन पूर्व सांसद रह चुका है. उनका छोटा बेटा टाटा स्टील में इंजीनियर के पद पर कार्यरत है.