आदित्यपुर : झारखंड आंदोलन रंग ला चुका था. तत्कालीन केंद्र की अटल बिहारी बाजपाई पसरकार ने झारखंड राज्य को अलग राज्य का दर्जा दे दिया था. इसी दौरान झारखंड आंदोलनकारी स्व. सुनील महतो के पिता गणेश महतो का निधन हो गया. उनके अंतिम संस्कार में खुद दिशोम गुरु शिबू सोरेन कई दिन रहकर उनके श्राद्धकर्म को संपन्न करवाया था. आज उसी पार्टी की सरकार है. दिशोम गुरु शिबू सोरेन के पुत्र हेमंत सोरेन आज राज्य के मुख्यमंत्री है और उनकी पार्टी के शहीद सांसद का परिवार बीपीएल परिवार की श्रेणी में जीने को विवश है.
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नहीं आते हैं सीएम
बुधवार को परिवार से आजसू जिला अध्यक्ष सचिन महतो मिलने पहुंचे. इस दौरान दिवगंत की मां खांदो देवी ने कहा मुख्यमंत्री यहां आते है, उन्हे सब पता है की जहां वे जा रहे है वहां शहीद सांसद के परिवार के लोग रहते है. जानते हुए भी मुख्यमंत्री यहां नहीं आते है. झामुमो का सांसद रहते उनकी हत्या हुई थी. आजतक हत्या का ठीक से जांच हुई और ना ही परिवार को कोई मदद मिला है. सांसद का परिवार आज भी लाल कार्ड धारी है. इधर बुधवार को आजसू जिला अध्यक्ष सचिन महतो दिवंगत परिवार से मिले. सचिन महतो ने कहा की दुख होता है परिवार को देखकर आज के दिन आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो देखते है, जबकि सरकार को इनका आर्थिक उन्नति को लेकर पहल करना चाहिए था. कितनी दुख की बात है कि एक सांसद का परिवार आज बीपीएल श्रेणी का कार्डधारक है. घर पूरा खंडहर में परिवर्तित हो चुका है. सबसे छोटा भाई भुवन महतो पैरालैसिस पीडित है. बीमारी के दौरान टीएमएच का बिल भी चुकाने में परिवार सक्षम नहीं है.
नक्सल हिंसा में हुए थे शहीद
बता दें की नक्सली हिंसा में मारे गए झामुमो के पूर्व सांसद सुनील महतो के परिजन को सरकारी नौकरी के अलावा आर्थिक सहायता देने की मांग पहले से ही कुडमी समाज के द्वारा की जा रही है. शहीद सुनील महतो के दो भाई थे. एक भाई का असामयिक निधन हो गया. छोटे भाई को लकवा हो गया है. वे काम नहीं कर सकते हैं. इस वजह से सुनील महतो के परिवार आज बीपीएल श्रेणी में है. उनकी मां खांदो देवी आज भी सरकारी मदद को टकटकी लगाए हुए है.
वर्ष 2007 के 4 मार्च को सुनील महतो के साथ ही प्रभाकर महतो की नक्सली हिंसा में मौत हो गई थी. इनके परिवार के उत्थान को लेकर आज भी परिवार के लोग आंदोलनरत है.
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