पश्चिमी सिंहभूम : समाहरणालय में दिशा की हुई बैठक में जिले के विकास से जुड़े महत्वपूर्ण विषयों पर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया. इसपर पूर्व सांसद गीता कोड़ा ने जिले के जनप्रतिनिधियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि जनता के साथ विश्वासघात किया जा रहा है. जनता की बुनियादी समस्याओं की अनदेखी इन जनप्रतिनिधियों की गैर-जिम्मेदारी और उदासीनता का परिणाम है. गीता कोड़ा ने आरोप लगाया कि सभी विकास कार्य केवल डीएमएफटी फंड और कैंपा फंड के भरोसे चल रहा है. इन फंडों का भी सुनियोजित तरीके से बंदरबांट करने के लिए ही इस प्रकार की औपचारिक बैठकें आयोजित की जा रही हैं.
जनप्रतिनिधियों के पास विकास का ठोस रोडमैप नहीं
हजारों करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद जिले की जनता आज भी शुद्ध पेयजल जैसी बुनियादी सुविधा से वंचित है. योजनाओं में भ्रष्टाचार चरम पर है और जमीनी स्तर पर पारदर्शिता का पूरी तरह अभाव है. जनप्रतिनिधियों के पास विकास का कोई ठोस रोडमैप नहीं है. हर साल सिर्फ कागजी योजनाएं बनती हैं, लेकिन धरातल पर कोई बदलाव नहीं दिखाई देता.
हर क्षेत्र में है बदहाली
ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली पर न कोई ठोस कदम उठाया गया और न ही प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के आधुनिकीकरण की दिशा में प्रयास किए गए. सरकारी विद्यालयों में शिक्षकों की कमी, सड़क और परिवहन सुविधाओं का अभाव, कृषि क्षेत्र में किसानों की लगातार अनदेखी सब कुछ जनप्रतिनिधियों की विफलता को उजागर करता है. युवाओं के स्वरोजगार और कौशल विकास कार्यक्रम सिर्फ घोषणाओं तक सीमित रह गई है.
विफल नेतृत्व की कार्यशैली को करें बेनकाब
पूर्व सांसद गीता कोड़ा ने स्पष्ट चेतावनी दी कि भारतीय जनता पार्टी इस जनविरोधी रवैये को चुपचाप नहीं देख सकती. भ्रष्टाचार, कुप्रबंधन और जनता की उपेक्षा के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी जनता के साथ मिलकर जोरदार आंदोलन करेगी. अब जनता भी सवाल पूछेगी और जवाब मांगेगी. जनता को अब समझना होगा कि उनके चुने हुए प्रतिनिधि विकास के प्रति कितने गैर-जिम्मेदार हैं. वक्त आ गया है कि इस भ्रष्ट और विफल नेतृत्व की कार्यशैली को बेनकाब किया जाए.