चाईबासा : आधुनिक युग के युवा तो हाड़-तोड़ मेहनत से कतराते हैं। खेती की बात करें तो वे तो तौबा करने लगते हैं। ऐसे में चक्रधरपुर के किसान चन्द्रशेखर प्रधान ने साऊथ अफ्रीका का पौधा महोगनी लगाकर ने पिछले 12 सालों में करोड़पति बन गए हैं। अपनी ही तरह वे अन्य किसानों को भी बनाना चाहते हैं और इसके लिए उन्होंने ट्रेनिंग देनी भी शुरू की है।
महोगनी पौधा लगाकर बने करोड़पति
इन दिनों चक्रधरपुर के देवगाँव निवासी चन्द्रशेखर प्रधान किसानों को करोड़पति बनाने के लिए उन्हें महोगनी पौधा लगाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। साऊथ अफ्रीका में पाए जाने वाले इस पेड़ की कीमत लाखों में है। ना सिर्फ इसकी कीमत ज्यादा है बल्कि इस पेड़ में औषधीय गुण भी हैं और इसकी लकड़ी कई मायनों में गुणों से परिपूर्ण है। अपने खाली पड़े जमीन पर सैकड़ों पौधे लगाकर 12 साल सींचने के बाद किसान का करोड़पति बनना तय है।
ईमारती लकड़ी है महोगनी
महोगनी एक इमारती लकड़ी है। इससे फर्नीचर, जहाज, संगीत वाद्य, बंदूक का कोंदा आदि तक बनाए जाते हैं। साथ ही इसकी लकड़ी पानी से खराब नहीं होती है। इससे मेड़ भी बनाए जाते हैं। महोगनी एक औषधीय पौधा है। इसके पत्तों का उपयोग कैंसर, ब्लडप्रेशर, अस्थमा, सर्दी, मधुमेह सहित अन्य रोगों से मुक्ति पाने के लिए किए जाते हैं। यह पौधा 5 साल में एक बार बीज देता है। एक पौधे से 5 किलो बीज मिलते हैं। इसके बीज एक हजार रुपए प्रतिकिलो तक बिकते हैं। लकड़ी होलसेल में दो हजार से 2200 रुपए प्रति घन फीट बिकती है। छोटा सा पौधा लगने के 12 साल बाद पेड़ की शक्ल में इसकी उंचाई 70 से 90 फिट तक हो जाती है।
माई फ्यूचर लाइफ संस्था से जुड़कर कर रहे काम
माई फ्यूचर लाइफ संस्था से जुड़कर सीएस प्रधान किसानों को बेहतर आमदनी के लिए महोगनी पौधा लगाने के लिए प्रशिक्षण दे रहे हैं। संस्था के द्वारा अबतक पश्चिम और पूर्वी सिंहभूम जिले में 42 हजार महोगनी पेड़ लगाये गए हैं। संस्था का लक्ष्य 21 लाख महोगनी पेड़ लगाने की है। चन्द्रशेखर प्रधान ने खुद अपनी 18 डिसमिल जमीन पर 148 महोगनी का पौधा लगाए हुए हैं।
23 डिसमील जमीन पर लगाए हैं पौधे
ग्रीन झारखण्ड बनाने का सपना देखने वाले कुशल कृषक सीएस प्रधान अपनी 23 डिसमील जमीन पर मोहगनी के पौधे के अलावे आम, अमरुद, नारियल, केला, अनार और लीची आदि फलों के पौधे भी लगाए हुए हैं।
किसानों को दे रहे आधुनिक खेती की ट्रेनिंग
सीएस प्रधान वर्ष 2004 से आधुनिक तकनीक से खेती करने की ट्रेनिंग किसानों को दे रहे हैं। उनका यही प्रयास रहता है की वे किसानों को बेहतर कृषि के गुर सिखाकर उनकी आमदनी को बढाएं। सीएस प्रधान ने अब तक चार राज्यों के किसानों को तकनिकी खेती का प्रशिक्षण देकर पारंगत कर चुके हैं। सीएस प्रधान की मानें तो आधुनिकता के इस दौर में खेती-बाड़ी बदल चुकी है। किसानों को भी परंपरागत खेती को छोड़ तकनिकी खेती को अपनाना होगा। तभी उनको सही मायने में लाभ मिलेगा और उनकी आमदनी तेजी से बढ़ेगी।