* उड़िया,उर्दू एवं बांग्ला भाषा में भाषाई संकट
* क्षेत्रीय मातृभाषा की पुस्तक की छपाई नहीं होने से बच्चे भूल रहे हैं अपनी मातृभाषा
* उड़िया महापुराण पढ़ना नहीं आता आजकल के बच्चों को
* हिंदी,इंग्लिश एवं अन्य मातृभाषा को अनिवार्य किया जाए -सुनील डे
* आपसी सामंजस्य स्थापित नहीं होने पर उत्कालिया सम्मलेनीय शिक्षक उड़िया विद्यालय से हैं दूर
* उर्दू विद्यालय में शिक्षक है मगर किताब नहीं
Potka : अभिभाजित बिहार के समय सही तरीके से बांग्ला, ओड़िआ एवं उर्दू विद्यालयों में शिक्षकों एवं किताब की आपूर्ति सही से होती थी, जिसके कारण पठन-पाठन सही तरीके से चल पा रहा था. वहीं जब से बिहार स्टेट बुक डिपो से किताब आना बंद हो गया एवं एनसीईआरटी लागू की गई तब से क्षेत्रीय मातृभाषा उर्दू उड़िया एवं बांग्ला भाषा में बुक की छपाई बंद हो गई. जिसके कारण मजबूरन बांग्ला, उड़िया, उर्दू विद्यालय में हिंदी बुक के माध्यम से पढ़ाई चलने लगी, जिसके कारण आज स्थिति यह है कि क्षेत्रीय मातृभाषा जैसे उड़िया, बांग्ला एवं उर्दू भाषी काफी परेशान नजर आ रहे हैं. (नीचे भी पढ़ें)
उनके बच्चों को ओड़िया की पढ़ाई नहीं होने से बंगाल की पढ़ाई नहीं होने से वह अपनी मातृभाषा को खोते जा रहे हैं एवं सभी हिंदी भाषा की ओर परिणत होते जा रहे हैं. इस मामले में अभिभावक सुनील कुमार दे ने कहा कि त्रिभाषा अनिवार्य रूप से लागू होनी चाहिए हिंदी, इंग्लिश एवं मात्र भाषा का स्वेच्छा अनुसार छात्र चयन करें, जिससे वह अपनी मातृभाषा का ज्ञान प्राप्त कर सके. वहीं पल्लव भट्ट मिश्रा ने कहा कि आज हमारे बच्चे उड़िया पढ़ नहीं पा रहे हैं. उड़िया बोल नहीं पा रहे साथ ही महापुराण उड़िया में है. उसे पढ़ना भी मुश्किल हो रहा है. (नीचे भी पढ़ें)
पूर्व मुखिया सैयद जबीउल्ला ने कहा कि पोटका के एकमात्र उर्दू बालिका विद्यालय है. जहां 600 छात्र-छात्राएं पठन-पाठन कर रहे हैं. यहां उर्दू के शिक्षक तो है मगर किताबों की छपाई नहीं होने से बच्चे हिंदी में ही पढ़ रहे हैं. दूसरी ओर, क्षेत्रीय भाषा के शिक्षक होने से उर्दू की एक मातृभाषा की पढ़ाई होती है बाकी सभी विषय हिंदी में ही पढ़ाई हो पा रहा है. वहीं विवेकानंद भट्ट मिश्रा ने कहा कि पोटका में कई विद्यालयों में उड़िया भाषा की पढ़ाई होती थी, जिसमें उत्कलीय सम्मिलिनीय संस्था द्वारा प्रत्येक विद्यालय में एक-एक शिक्षक अपने निजी मानदेय पर नियुक्त किए थे, मगर आपसी सामंजस्य नहीं होने से यह शिक्षक एक साल से विद्यालय से दूर है. (नीचे भी पढ़ें)
मध्य विद्यालय खैरपाल उड़िया के प्रधानाध्यापक हेमंती सुरीन ने कहा कि विद्यालय तो हिंदी के साथ उड़िया लिखा है, मगर हिंदी में विद्यालय में पढ़ाई होती है. वही बांग्ला बोर्ड मध्य विद्यालय के प्रधानाध्यापक अख्तर हुसैन ने कहा कि बांग्ला बोर्ड है, लेकिन बाग्ला के बजाय स्कूल में हिंदी में ही पढ़ाई होती है.