* पशु शेड, पोलट्री फॉर्म के अभाव में 5 साल से योजनाएं अधर में
* सुकर सेड जल्द मिलेगा कहकर 2 साल से नहीं मिला शेड
* विधवा मालती महाली के पास हैं आठ सुकर
* खुले आसमान के नीचे या झोपड़िया में सुकरों को रखने के लिए विवश है मालती
* 75% अनुदान पर मिले थे एक नर एवं चार मादा
* मनरेगा के तहत बनना था पशु शेड
* फंड का रोना रो रहा है रोजगार सेवक जिसके कारण 2 साल से नहीं बना शेड
Potka : एक तरफ झारखंड सरकार सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले किसानों एवं पशुपालकों को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए तरह-तरह की योजनाएं तैयार कर रही है. लेकिन यह योजनाएं धरातल तक पहुंचते पहुंचते दम तोड़ दे रही है. जी हां, पोटका प्रखंड में मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना अंतर्गत पशुपालकों को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए वाक्याड लेयर (अंडा के लिए) सुकर शेड, कुकुट पालन (मांस के लिए ) गव्य पालन जैसी योजनाएं चलई जा रही है. ताकि किसान दूध, मांस आदि से स्वरोजगार कर आगे बढ़ सके वही जामदा पंचायत के टॉप गढ़िया की रहने वाली विधवा मालती महाली का दर्द सुनाने वाला कोई नहीं है. हर सप्ताह 30 किलोमीटर साइकिल की यात्रा कर प्रखंड कार्यालय पहुंचती है और रोजगार सेवक तथा पशुपालन विभाग में दरवाजा खटखटाते खटखटाते आज थक चुकी है. (नीचे भी पढ़ें)
उनका कहना है कि उन्हें लगभग दो साल पहले 75% अनुदान पर चार मादा एवं एक नर सुकर पशुपालन विभाग की ओर से दिया गया था. जिसमें 14 हजार चार सौ पचास रूपये जमा की थी वहीं इस योजना के तहत 75% अनुदान पर पशुपालन विभाग द्वारा सुकर उपलब्ध कराया जाता है तथा मनरेगा के तहत पशु सेड का निर्माण किया जाता है. मगर पशु शेड का निर्माण नहीं होने के कारण एक छोटी सी झोपड़ी बनाकर यह अपने भविष्य की चिंता करते हुए इन सुकरो को एक तो खुले आसमान के नीचे और नहीं तो एक छोटी सी झोपड़ी में रखने को विवश है. मालती कहती है कि इतने सारे सुकरो को छोटे से झोपड़ी में रखना मुश्किल हो रहा है. बारिश के दिनों में और ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा. वहीं, आज मालती के पास कुल आठ सुकर है और इसे रखने का जगह नहीं है. रोजगार सेवक आज बन जाएगा, कल बन जाएगा का आश्वासन देते हुए आज 2 साल बीत गए, लेकिन अब तक पशु सेड नहीं बन पाया. वहीं रोजगार सेवक से बात करने पर उनका कहना है कि फंड के अभाव में पशु शेड नहीं बनाया जा रहा है. साथ ही भेंडर का पहले से ही पैसा बकाया है जिसके कारण सामान की आपूर्ति नहीं कर रहे हैं. इसलिए शेड नहीं बन पा रहा है. (नीचे भी पढ़ें)
एक आंकड़े के अनुसार 2020-21 से 2024-25 तक सुकर योजना के 68 योजना स्वीकृत हुए जिसमें 49 लाभुकों को ही इस योजना का लाभ मिल पाया, वाक्यड लेयर के 41 में 7 लाभकों को ही लाभ मिला. साथ ही बॉयलर में पचासी लाभुकों का योजना स्वीकृत हुआ जिसमें 11 लाभुकों को इसका लाभ मिला कुल 194 योजनाएं स्वीकृत हुई मात्र 67 लाभुकों को ही इस योजना का लाभ मिल पाया है. वही शेड के अभाव में पांच सालों 127 योजनाएं धरातल पर उतर नहीं पा रही है.