* लंबी लड़ाई एवं काफी जद्दोजहद के बाद मिला अम्बेडकर आवास
* 1 साल से दूसरे किस्त के इंतजार में शौचालय में बैठी है बेहुला
* नवंबर 2023 को मिला था 40 हजार के रूप में पहली किश्त
* 1 साल से दूसरे किस्त के इंतजार में बैठी है बेहुला
* काफी जद्दोजहद के बाद भी नहीं मिला 85हजार के रूप में दूसरा किश्त
* दूसरा किस्त मिलता तो छत बन जाता
Potka : सरकारी लापरवाही का दंस झेल रही दिव्यांग बेहुला सरदार पिछले तीन वर्षों से शौचालय में रहने को विवश है. कड़ी मशक्कत एवं ग्रामीणों की पहल पर नवंबर 2023 को अकेली महिला दिव्यांग बेहुला सरदार के नाम से अंबेडकर आवास स्वीकृत हुआ था. तब बेहुला सरदार काफी खुश थी कि अब उनका आवास बन पाएगा. अकेली महिला वह भी दिव्यांग अपने जीवन से जाद्दोजहद कर अब किसी तरह अपना घर बन पाएगी. यही सोंचकर बड़ी खुश थी, लेकिन उसकी खुशी ज्यादा समय तक नहीं रह पाई. (नीचे भी पढ़ें)
बेहुला को पहला किश्त नवंबर 2023 को 40 हजार रूपये मिले. उसके बाद दूसरी किस्त 85 हजार के इंतजार में 1 साल बीत गया, मगर अब तक उन्हें दूसरा किश्त नहीं मिल पाया, जिसके कारण आज भी शौचालय में रहने पर विवश है. गांव के बादल सरदार ने कहा कि किसी तरह उधारी कर घर लिंटर लेबर तक बना दिया गया, लेकिन दूसरी किश्त की फरियाद लगाते लगाते बेहुला सरदार थक चुकी है. अब सब छोड़ कर चुपचाप शौचालय में सिमट कर जिंदगी व्यतीत कर रही है. वहीं बादल सरदार ने कहा कि यदि दूसरा किश्त समय पर मिल जाता तो कम से कम सर पर छत हो जाता और बेहुला कम से कम शौचालय से घर पर रह पाती. (नीचे भी पढ़ें)
वहीं गांव के अर्जुन प्रमाणिक ने कहा कि यह सरासर लापरवाही है. इस लापरवाही में जो लोग दोषी है उस पर कार्रवाई होनी चाहिए. आखिर आवास योजनाएं गरीबों तक क्यों नहीं पहुंच पाती जब घर बना लेने के बाद भी उन्हें दूसरे किश्त के लिए वर्षों इंतजार करना पड़े तो काफी दुखद बात होती है.