*शिक्षा को अतीतोन्मुखी नहीं, बल्कि भविष्योन्मुखी होना चाहिए
*एलबीएसएम कॉलेज में ‘नई शिक्षा नीति और ओशो की शिक्षा संबंधी अवधारणा’ विषय पर एकदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित हुआ
JAMSHEDPUR : परसुडीह के करनडीह स्थित एलबीएसएम कॉलेज के दर्शनशास्त्र विभाग की ओर से ‘नई शिक्षा नीति और ओशो की शिक्षा संबंधी अवधारणा’ विषय पर एकदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ, जिसकी अध्यक्षता कॉलेज के प्राचार्य प्रो. डॉ अशोक कुमार झा और संचालन डॉ दीपंजय श्रीवास्तव ने किया. स्वागत वक्तव्य दर्शनशास्त्र विभाग के अध्यक्ष प्रो. संतोष राम ने दिया.
मुख्य वक्ता युवा कवि और आलोचक सिद्धार्थ वल्लभ ने कहा कि फिलॉसिफी का अर्थ होता है- प्रेम और ज्ञान के जरिये सत्य को पहचानना. दर्शन से सच को देखने की दृष्टि मिलती है. ओशो ने कहा है कि हर आदमी का निजी व्यक्तित्व होता है, जिसके निर्माण में उसके परिवेश, परिवार, शिक्षक और शिक्षा की अहम भूमिका होती है. शिक्षक की अब तक बाप जैसी भूमिका रही है, उसे बड़े भाई की भूमिका निभानी चाहिए. उन्होंने कहा कि शिक्षकों को विद्रोही होना होगा, वे विद्रोही होंगे, तभी छात्र विद्रोही हो पाएंगे. विद्रोही होने का मतलब रूढ़िग्रस्तता को तोड़ना होता है. बच्चे जो बनना चाहते हैं उन्हें वह बनने देना चाहिए. उन्हें जबरदस्ती अपनी इच्छा के अनुरूप बनाना उचित नहीं है. उन्हें किसी भी राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक दबाव से मुक्त होना चाहिए. छात्रों को रेस का घोड़ा बनाना उचित नहीं है. प्रतिस्पर्द्धात्मक शिक्षा प्रणाली बहुत खतरनाक है. उससे मुक्ति मनुष्य के भविष्य के लिए जरूरी है. शिक्षा ऐसी होनी चाहिए, जो जिज्ञासु बनाये, प्रश्न उठाना सिखाए, तार्किक बनाए. (नीचे भी पढ़ें)
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए एलबीएसएम कॉलेज के प्राचार्य प्रो. डॉ अशोक कुमार झा ‘अविचल’ ने कहा कि हमारे पुरखे जहां तक वैचारिक स्तर पर जहां पहुंचे थे, हमें उससे आगे बढ़ना चाहिए. हमें अपने वैचारिक आधार को आगे ले जाना चाहिए. ओशो सिखलाते हैं कि जिसकी जो मौलिकता है, उस रूप में उसे विकसित करो. मातृभाषा इसमें बहुत सहयोगी होती है. नई शिक्षा नीति में इसीलिए मातृभाषाओं पर जोर दिया गया है. शिक्षक भागीरथ हैं. वह पूरी व्यवस्था को बदल सकता है. शिक्षा को अतीतोन्मुखी नहीं, बल्कि भविष्योन्मुखी होना चाहिए. ओशो स्वयं से प्रतिस्पर्द्धा करना सिखाते हैं.
इस अवसर पर डॉ विनय कुमार गुप्ता, डॉ संचिता भुई सेन, प्रो विनोद कुमार, प्रो विजय प्रकाश, डॉ जया कच्छप, प्रो. रितु, डॉ. सुधीर कुमार, डॉ प्रशांत, प्रो. मोहन साहू, प्रो. सलोनी रंजने, डॉ रानी, प्रो प्रमिला किस्कू, प्रो. शिवनाथ शर्मा भी मौजूद थे. धन्यवाद ज्ञापन डॉ. डीके मित्रा ने किया.
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