* पीड़ित महिलाओं को मदद के लिए प्रत्येक महिला दो रूपया प्रतिमाह करती है जमा
* जेंडर फंड के माध्यम से अब तक महिलाओं ने 15 हजार रूपये किए जमा
* गरिमा केंद्र के कारण सर उठाकर जीने लगी हैं महिलाएं
Potka : सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में किसी न किसी रूप में रोज महिलाएं प्रताड़ना की शिकार होती है. वहीं लगातार प्रताड़ना का दौर चलता रहता है. इस दौरान कई महिलाएं मौत को गले लगा लेती है, तो कई महिलाओं को प्रताड़ना का शिकार होना पड़ता है. महिलाएं कहां जाए, किसके समक्ष बातों को रखें, यह समझ नहीं आता. लेकिन जब से पोटका प्रखंड के कलिकापुर में गरिमा केंद्र की शुरुआत हुई है तबसे क्षेत्र की महिलाएं अपनी प्रताड़ना के खिलाफ न्याय के लिए मुखर होकर सामने आने लगी है. जेएसएलपीएस द्वारा प्रदान संस्था के सहयोग से गरिमा केंद्र चलाया जा रहा है. इसमें दो लीगल दीदी नागी सोरेन एवं मंजू नायक गरिमा केंद्र का संचालन करती है, जहां पीड़िता के रहने का और खाने-पीने एवं जो महिला के आर्थिक रूप से कमजोर है. (नीचे भी पढ़ें)
उन महिलाओं को यात्रा भत्ता एवं निशुल्क न्याय के लिए जेंडर फंड के माध्यम से जरूरत के अनुसार मुआवजा भी मुहैया कराया जाता है. छह माह पहले गरिमा केंद्र की शुरुआत हुई, जिसमें घरेलू हिंसा के 19, यौन उत्पीड़न के तीन, बाल विवाह एक, साइबर ठगी के एक मामले सामने आये, कुल मिलाकर 24 मामलों में 22 मामलों का निष्पादन गरिमा केंद्र के माध्यम से सफलतापूर्वक निशुल्क न्याय महिलाओं को मिल चुका है. वहीं कलिकापुर में 10, पोटका एक, हल्दीपोखर सात, जानमडीह से छह मामले सामने आए,फंड जनरेट करने में छह कोलस्टरों में कलिकापुर आसानबनी, कोवाली, पोटका, हल्दी पोखर, जानमडीह आदि जगहों की महिलाओं ने प्रतिमाह 2 रूपया कर जमा कर गरीबों को केंद्र में आने वाली पीड़िता को सहायता पहुंचाने के लिए 14 हजार रुपए का फंड जमा की गई है. वही क्लस्टर के माध्यम से पीड़ित महिलाओं को सहयोग पहुंचाया जाता है. जेंडर सीआरपी माधुरी राणा, पाखी पात्र, लीगल दीदी नागी सोरेन, मंजू नायक, अंजना भकत ने बताया कि प्रत्येक गांव में बदलाव दीदी का चयन किया गया है, जहां ग्रामीण स्तर में प्रताड़ित हो रही महिलाएं बदलाव दीदी के माध्यम से बदलाव मंच में अपनी समस्याओं को लाती है. (नीचे भी पढ़ें)
वहीं प्रत्येक गांव में बदलाव मंच का गठन किया गया है. साथ ही मामले को गरिमा केंद्र तक बदलाव दीदी, बदलाव मंच के माध्यम से मामले आते हैं. जिसका सर्वप्रथम पीड़िता को लीगल जानकारी दी जाती है. जिसके बाद प्रताड़ना के अनुसार उन्हें सबसे पहले समाज में गांव में बैठकर मामले को समझौता करने का प्रयास किया जाता है. यदि समझौता नहीं हो पता है उस स्थिति में नजदीकी थाना या डालसा की मदद से इन्हें निशुल्क न्याय दिलाने का कार्य किया जाता है. (नीचे भी पढ़ें)
प्रताड़ित महिला घायल हो तो उसके चिकित्सा, रहने की व्यवस्था, भोजन, यातायात आदि की व्यवस्था गरिमा केंद्र के माध्यम से किया जाता है. जिसमें आज महिलाएं प्रताड़ना के खिलाफ सर उठाकर आने लगी है और न्याय के लिए लड़ाई लड़ने लगी है. इसकी कड़ी का काम गरिमा केंद्र कर रहा है. माधुरी राणा ने कहा कि आज महिलाएं सर उठाकर अपनी प्रताड़ना के खिलाफ आवाज उठाने लगी है. यह काफी अच्छी पहल है. वहीं किसी न किसी रूप में प्रत्येक दिन हो रही प्रताड़ित हो रही महिलाओं के लिए अब सर उठाकर जीने का समय आ गया है.