ईचागढ़ : सरायकेला-खरसावां जिला के ईचागढ़ प्रखंड क्षेत्र में हाथियों का उत्पात थमने का नाम नहीं ले रहा है. छोटे-छोटे हाथियों का टूकड़ी जहां विभिन्न जंगलों में डेरा जमाए हुए हैं, वहीं एक सप्ताह से 40 हाथियों का विशाल झुंड से ग्रामीणों में दहशत फैला हुआ है. शाम ढलते ही हाथियों का झुंड गांवों की ओर रूख करते हैं. ईचागढ़ के बोड़ा गांव में बुधवार रात 40 हाथियों के झुंड ने रातभर उत्पात मचाया.
चापाकल को किया क्षतिग्रस्त
हाथियों ने आदिवासी कला केन्द्र भवन का दरवाजा खिड़की, दिवाल व चापाकल को तोड़ दिया. वहीं राजु कुम्हार, बीभुती कुम्हार, प्रह्लाद कुम्हार, कैलाश कुम्हार, बुद्धेश्वर कुम्हार व रोही दास सिंह मुंडा का निर्माणाधीन पक्के मकानों को तोड़ दिया. हाथियों ने कालो सिंह मुण्डा, कुईला सिंह मुंडा, त्रिलोचन सिंह मुण्डा, मितान कुम्हार सहित दर्जनों किसानों के खेत में लगे पके धान, लौकी, टमाटर आदि को चट कर गया.
सडक पर किया प्रदर्शन
आक्रोशित ग्रामीणों ने गांव घुसने के रास्ते पर ही गढ्ढा खोदकर चुनाव-प्रचार के वाहनों को गांव घुसने से रोक दिया है. ग्रामीणों ने सड़क पर प्रदर्शन कर विरोध जताया. ग्रामीणों का कहना है कि न जनप्रतिनिधि न कोई नेता और न ही वन विभाग हाथियों द्वारा क्षति पहुंचाने से संज्ञान लेते हैं. ग्रामीणों ने कहा कि हाथियों की समस्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. देखने वाला कोई नहीं है. इसलिए चुनावी प्रचार वाहनों और नेताओं को गांव घुसने नहीं दिया जाएगा.
फोन रिसिव नहीं करता वन विभाग
ग्रामीणों ने कहा कि वन विभाग से सम्पर्क करने से फोन नहीं उठाते हैं और न ही मशाल, टार्च, पटाखा ही दिया जाता है. आए दिन हाथियों द्वारा जान माल की क्षति पहुंचाई जा रही है. लोग घरों में भी असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. वन विभाग सिर्फ मुकदर्शक बना हुआ है. एस्कॉर्ट टीम कुछ दूर तक खदेड़ते तो जरूर है लेकिन दूसरे दिन अन्य गांवों में उत्पात शुरू हो जाता है. हाथियों की समस्या लोगों का नियती बनकर रह गयी है. राष्ट्रीय स्तर पर न राज्य स्तर पर सरकार ने हाथियों का भटकाव रोकने और गांवों में प्रवेश रोकने के लिए विशेष नियम नहीं बना रहे हैं, जिससे लोग काफी आक्रोशित हैं.