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जमशेदपुर : साकची गोलचक्कर पर किसानों के समर्थन में पहुंचे ईचागढ़ के पूर्व विधायक अरविंद सिंह व जुगसलाई विधायक, कहा कॉरपोरेट घराना और किसानों के बीच की लड़ाई है किसान आंदोलन
जमशेदपुर : किसान आंदोलन एकता मंच की ओर से गुरुवार को साकची गोलचक्कर पर आंदोलित किसानों के समर्थन में धरना प्रदर्शन किया गया। मौके पर मुख्य रूप से ईचागढ़ के पूर्व विधायक अरविंद सिंह और जुगसलाई विधायक मंगल कालिंदी भी समर्थन करने के लिए पहुंचे हुए थे। कार्यक्रम के दौरान बड़ी संख्या में विभिन्न संगठन के प्रतिनिधि पहुंचे हुए थे। सभी ने एकजूट होकर किसानों के आंदोलन का समर्थन किया और आंदोलन को मुकाम तक पहुंचाने तक आंदोलन को जारी रखने का प्रण लिया, वहीं केंद्र सरकार से तीन नए कृषि कानून को निरस्त करने की मांग की।
कॉरपोरेट घराना और किसानों के बीच की है लड़ाई
मौके पर पूर्व विधायक अरविंद सिंह ने कहा कि किसानों की लड़ाई कॉरपोरेट घराना के साथ है। आज कोई भी किसान करोड़पति बनने का सपना नहीं देख सकता है। एक आम आदमी को किसी कंपनी में साढ़े 10 हजार तक की नौकरी मिलती है। इस नौकरी में वह क्या-क्या कर सकता है यह किसी से छिपी नहीं है। केंद्र सरकार किसानों के लिए कानून बनाकर कॉरपोरेट घराना को आर्थिक रूप से मजबूत करने का काम कर रही है। यह आंदोलन किसानों और आम जनता की है। हम किसानों के साथ हैं। किसान मेहनत करके फसल उगाते हैं। उनके कारण ही सभी को भरपूर खाना मिलता है। आज जो राजनीतिक स्थिति बनी है उसके माध्यम से आंदोलन जरूरी है। बिना लड़ाई किए आने वाले दिनों में कुछ भी नहीं मिल सकता है। किसान अपनी जिंदगी कैसे गुजारेंगे वे ही जानते हैं। उन्होंने आगे भी इस आंदोलन में साथ देने की घोषणा की।
सत्ता पक्ष के विधायक के बिगड़े बोल
इधर इस मामले में सत्ता पक्ष के जुगसलाई विधायक मंगल कालिंदी ने कहा कि आज केंद्र सरकार का ध्यान राम मंदिर बनाने में केंद्रीत हैै, लेकिन किसानों पर ध्यान नहीं जा रहा है। मंगल कालिंदी ने कहा कि हम मंदिर बनाने का विरोध नहीं करते हैं। मैं भी हिंदू हूं। उन्होंने सवाल किया कि आखिर किसान आंदोलन को छोड़कर राम मंदिर के लिए चंदा क्यों मांगा जा रहा है। मंदिर बनने से 100-200 भिखारी कटोरा लेकर भीख मांगने बैठेंगे। लेकिन सरकार रोजगार देने का काम नहीं कर रही है। आज देशभर में 18 करोड़ युवा बेरोजगार है। देश किसान आंदोलन से जाग रहा है। किसान हमारे अन्नदाता हैं। भारत सरकार को चिंता करनी चाहिए। किसानों से वार्ता करनी चाहिए। आम लोगों का पेट हीरा-मोती से नहीं भरता हैै, बल्कि किसानों के अनाज से भरता है। अगर किसानों के पक्ष में कानून होता, तब वे सड़कों पर क्यों उतरते? सरकार हिंदू-मुस्लिम की बात छोड़कर और किसी बात पर चर्चा नहीं करती है। युवाओं को डायवर्ट करने का काम केंद्र सरकार कर रही है। किसान आंदोलन गंभीर है। इस मामले में अन्ना हजारे गायब हैं।